भाजपा ने मंगलवार को सबको चौंकाते हुए जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ 40 माह पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए समर्थन वापस ले लिया।
भाजपा के इस फैसले के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वहीं, देर शाम राज्यपाल एन एन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ र्कोंवद को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय शासन लागू करने की सिफारिश की।
भाजपा महासचिव राम माधव ने आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, राज्य की गठबंधन सरकार में बने रहना भाजपा के लिए जटिल हो गया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने घाटी के लिए सब कुछ किया। लेकिन आतंकवाद समेत कई मुद्दों पर पीडीपी अपने वादे पूरे करने में सफल नहीं रही। जम्मू और लद्दाख में विकास कार्यों को लेकर हमारे नेताओं को पीडीपी से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए समर्थन वापस ले रहे हैं।
इससे पहले भाजपा आलाकमान ने जम्मू-कश्मीर सरकार में अपने मंत्रियों को आपातकालीन विचार-विमर्श के लिए दिल्ली बुलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से विचार विमर्श के बाद समर्थन वापसी का फैसला लिया गया।
कश्मीर की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी आतंकवाद, पत्थरबाजी और सैनिको पर सरकार का लगाम लगने से सिर्फ कश्मीर ही नही बल्कि पूरे देश मे इसका विरोध हो रहा था। ऐसे में 2019 का चुनाव और 3 बड़े राज्यो का चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने सरकार से बाहर होने का फैसला ले लिया।
कश्मीर की ताजा हालात की जिम्मेदार सिर्फ पीडीपी नही बल्कि केंद्र सरकार और पीडीपी की सहयोगी बीजेपी भी है। बीजेपी समर्थन वापस लेकर जो नाटक करना चाह रही है उससे पहले उसे 40 महीने में कश्मीर की बर्बादी का जबाब देना होगा और केंद्र सरकार को भी बताना होगा कि उसने कश्मीर में शांति के लिये क्या किया क्योंकि Pm मोदी 2014 से पहले कश्मीर की हर समस्या के लिये दिल्ली में बैठी केंद्र की सरकार को जिम्मेदार बताते थे इसलिये अब मोदी को भी अपना जिम्मेदारी बताना होगा।