गाँधीजी को राष्ट्रपिता की उपाधि सुभाष चंद्र बोस ने दी थी

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ सबसे पहले बर्लिन रेडियो से नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था..
नेताजी ने तीन चार महत्वपूर्ण घोषणाएं की थी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलावा पूरे देश ने और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उसे स्वीकार किया था..


1- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
2- दिल्ली चलो
3- महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं
4- आजाद हिंद फौज की पहली बटालियन का नाम महात्मा गांधी बटालियन, दूसरी बटालियन का नाम पंडित नेहरू बटालियन और तीसरी बटालियन का नाम रानी लक्ष्मीबाई बटालियन रखना.
5- आजाद हिंद फौज को संबोधित करते हुए उनकी सबसे महत्वपूर्ण घोषणा थी कि भारत की धरती पर कदम रखते ही आजाद हिंद फौज के ‘कमांडर इन चीफ’ महात्मा गांधी होंगे, सुभाष चंद्र बोस नहीं…संघीयो पहले तो तुम बापू गांधी जी, नेहरू जी ओर सरदार पटेल ओर आजादी के आंदोलन ओर वाद में देश के नवनिर्माण में उनके योगदान ओर दृढ़ संकल्प को समझना होगा फिर आपमें इन महापुरुषों के प्रति आदर ओर सम्मान जागेगा ।

V
जिन लोगों ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी हो उनसे हम यहां अपेक्षा भी नहीं रखते कि वे महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहेंगे.
जो लोग मोहम्मद अली जिन्ना के मंत्रिमंडल में शामिल रहते हैं और स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध करते हैं उनसे हम यह अपेक्षा नहीं रखते क्यों महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहेंगे.
जो लोग अंग्रेजों की जासूसी करते थे और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ झूठी गवाही देते थे उनसे हमें अपेक्षा नहीं रखते कि वह महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहेंगे.
जिन लोगों ने भारतीय युवकों को ब्रिटिश सेना में भर्ती कराया ताकि वे आजाद हिंद फौज से बर्मा की सीमा पर जाकर लड़ सकें उनसे भी हम यह उम्मीद नहीं करते कि वह महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहें.
जो लोग हमेशा से राष्ट्र द्रोही रहे हैं उनसे हम यह अपेक्षा नहीं करते कि वह महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहें.

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