
मध्यप्रदेश की राजनीति भारतीय जनता पार्टी के लिए 15 सालों से सुखद बनी हुई है। कारण चाहे कुछ भी रहा हो शायद कांग्रेस की गुटबाजी या फिर शिवराज सिंह और भाजपा का राजनीतिक प्रबंधन लेकिन भाजपा 3 बारो से जीत दर्ज करते आ रही है।
मगर 2018 का चुनाव लग रहा है भाजपा के लिए मुश्किल बन सकती है क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस ने कमलनाथ और ज्योतिराज सिंधिया का एक नया राजनीतिक समीकरण बनाते हुए प्रदेश की बागडोर सौंपी है उससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नया ऊर्जा आ गया है कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ जनता को भी एक उम्मीद हो गई है कि ज्योतिराज सिंधिया जैसा आक्रमक नेता जो जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर काफी आक्रमक होकर सरकार के खिलाफ और जनता के साथ रहता है वह कहीं ना कहीं भाजपा और शिवराज सिंह की इस कुशासन को हरा सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया का युवाओं के साथ साथ हर वर्ग में जिस तरह से पकड़ है उसका फायदा निश्चित तौर पर कांग्रेस को होगी ज्योतिराज सिंधिया ने अटेर मुंगावली और कोलारस चुनावों में भी यह बात दिखा दिया था कि अगर ठीक ढंग से एकजुटता के साथ चुनाव लड़ते हैं न सिर्फ शिवराज सिंह की हार होगी बल्कि कांग्रेस मजबूती से पूरे प्रदेश में अपना सरकार बना सकती है मध्य प्रदेश में पिछले कई उपचुनाव और निकाय चुनाव में ज्योतिराज सिंधिया,अरुण यादव, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह की एकजुटता के कारण कांग्रेस जीत दर्ज करते जा रही है जिससे ना सिर्फ कांग्रेस का जनाधार बढ़ रहा है बल्कि भाजपा का बेचैनी भी बढ़ता चला जा रहा है।
ऐसे में ज्योतिराज सिंधिया को 2018 के चुनाव के लिए चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाना कहीं ना कहीं कांग्रेस के आने वाले रणनीति का साफ झलक है। कांग्रेस कहीं ना कहीं 2018 में ज्योतिदित्य सिंधिया के चेहरों पर चुनाव लड़ना चाह रही है।
भले कांग्रेस अभी इस बात का ऐलान नहीं कर रही हो लेकिन भाजपा अब जिस तरह से सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने जैसा माहौल बनाने लगी है और सोशल मीडिया पर वो जिस तरह से वह दिखा रही है वह बता रहा है कि वह सिंधिया के नए तेवर और नए पद से बेचैन हैं उसे कहीं ना कहीं लगने लगा है कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में अच्छा कर रही है और इसी तरह आगे बढ़ती रही तो निश्चित तौर पर 2018 में कांग्रेस सरकार बना लेगी।