
दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, उनकी मां सोनिया गांधी और अन्य अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि या तो वे स्वीकारें या फिर नकारें कि उनकी ओर से दाखिल किए गए कुछ दस्तावेज असली हैं.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि किसी आरोपी को किसी दस्तावेज का लेखक नहीं बताया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि अर्जी से मुकदमे की कार्यवाही में देरी हो रही है. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘कुछ कानूनी सीमा के कारण जब दस्तावेज खुद ही साक्ष्य के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं तो आरोपी इन दस्तावेजों को ना तो स्वीकार कर और ना नकार कर कानूनी तौर पर खुद को सही ठहराते हैं.’ कोर्ट ने कहा, ‘लिहाजा, उक्त कारणों से सीआरपीसी की धारा 294 के तहत दायर उस अर्जी को अनुमति नहीं दी जा सकती जिसमें आरोपियों को दस्तावेज स्वीकारने या नकारने के निर्देश देने के लिए कहा गया है.’
बीजेपी नेता स्वामी ने एक निजी आपराधिक शिकायत में राहुल और सोनिया गांधी एवं अन्य पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महज 50 लाख रुपए का भुगतान कर धोखाधड़ी और कोष में गड़बड़ी की साजिश की, जिसके जरिए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपए की वह रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया जिसे असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को कांग्रेस को देना था.
अदालत ने स्वामी की दो अन्य अर्जियों का भी निपटारा कर दिया. इनमें से एक अर्जी में कांग्रेस पार्टी से कुछ दस्तावेज मांगे गए थे जबकि दूसरे में मजिस्ट्रेट से अनुरोध किया गया था कि वह आयकर विभाग से जुड़े कुछ दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लें. अदालत ने कहा कि इन अर्जियों पर फैसला बाद में होगा. मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों अर्जियों की प्रासंगिकता और स्वीकार्यता पर साक्ष्य या फैसले के चरण में निर्णय किया जाएगा.
अदालत ने कहा, ‘शिकायतकर्ता सीआरपीसी की धारा 91 के तहत जिस तरह अर्जियां दे रहे हैं या दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने के लिए कह रहे हैं उससे कोई मकसद पूरा नहीं होता और इससे मुकदमे में देरी हो रही है.’
मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘मुकदमे में पहले ही देर हो चुकी है क्योंकि अभियोजन के साक्ष्य दर्ज करने की पहली तारीख 20 फरवरी, 2016 थी और अब तक साक्ष्य पर काम शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में मुकदमे में देरी हो रही है. इसे पटरी पर लाना होगा. लिहाजा, मुकदमे को पटरी पर लाने के लिए निर्देश दिया जाता है कि शिकायतकर्ता खुद अभियोजन के पहले गवाह के तौर पर अपना परीक्षण कराएंगे और इस मामले की आधारशिला रखेंगे.’ अदालत ने कहा कि इसके बाद गवाहों, अधिकारियों और अन्य को सम्मन किया जाएगा.
मजिस्ट्रेट ने कहा कि स्वामी को उन गवाहों की एक सूची देनी होगी जिसमें उनके नाम या पदनाम या कोई अन्य प्रासंगिक ब्योरा देना होगा जिसमें ऐसे दस्तावेजों का ब्योरा होगा जो वे गवाह साबित करेंगे. अदालत ने स्वामी के परीक्षण के लिए 21 जुलाई की तारीख तय कर दी.
सभी सात आरोपियों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सुमन दुबे, सैम पित्रौदा और यंग इंडियन ने इस मामले में अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को नकारा है. अदालत ने आरोपियों को 26 जून, 2014 को तलब किया था.