
मोदी सरकार के तमाम दावों के बावजूद पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें लगातार बढ़ती नज़र आ रही हैं। बुधवार को एक बार फिर कीमतों में उछाल देखने को मिला। बढ़ती कीमतों का सिलसिला लगातार पिछले दस दिनों से जारी है।
पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार वृद्धि होने के कारण सरकार की चौतरफा आलोचना होना शुरू हो गया है। जिस सरकार का 2014 में नारा था “बहुत हुई पेट्रोल और डीजल की महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार” उसी सरकार में पेट्रोल आजादी के बाद सबसे महंगा बिक रहा है जिसको लेकर अब ना सिर्फ राजनीतिक दल बल्कि आम आदमी भी सवाल उठाने लगे हैं।
सरकार की सबसे ज्यादा आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का कीमत लगातार गिर रही है फिर सरकार यहां पर टैक्स बढ़ा कर अधिक कीमत जनता से क्यों वसूल रही है। जब 2014 से पहले कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय मार्केट में 117 डॉलर प्रति बैरल था तब भारत में पेट्रोल की कीमत ₹73 हुआ करती थी वही जब अब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल है तब कच्चे तेल की कम हुई कीमत का फायदा होने की जगह उलट नुकसान ही हो रहा है और अब पेट्रोल ₹85 वही डीजल ₹73 प्रति लीटर मिल रहा है।
पेट्रोल और डीजल की लगातार मूल्य वृद्धि को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है और देश के विभिन्न इलाकों में वह इसको लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है एनएसयूआई से लेकर कांग्रेस की सारी संगठन इसको लेकर अपना विरोध दर्ज करवाई है वहीं आम आदमी पार्टी,राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल भी इसको लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि होने का सबसे बड़ा कारण सरकार के द्वारा लिया जा रहा टैक्स है। टैक्स 2014 से लेकर अगर देखा जाए तो मनमोहन सरकार के तुलना में मोदी सरकार में बहुत ही अधिक हो गया है।
मई 2014 में पेट्रोल 9.20 रूपए प्रति लीटर और डीजल पर 3.46 रूपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगता था, अब पेट्रोल पर 212 प्रतिशत इजाफे के साथ 19.48 रूपए और डीज़ल पर 443 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 15.33 रूपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लग रहा है।
पेट्रोल और डीजल के बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार चाहे जो भी बहाना बना ले लेकिन पेट्रोल और डीजल की बढ़ती महंगाई का असर आम लोगों के सीधे जनजीवन पर पड़ता है जिस कारण से सरकार को इसका खामियाजा निश्चित तौर पर भुगतना होगा और इसी को ध्यान में रखते हुए सारी विपक्षी दल इसको लेकर आक्रमक होते हुए जनता के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में जुट चुकी है जिसका निश्चित तौर पर आने वाले चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान होगा।
कांग्रेस के नेता लगातार ट्विटर और प्रेस के माध्यम से मनमोहन सरकार और मोदी सरकार के दौरान अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत और पेट्रोल-डीजल की कीमत का तुलना कर सकरार को घेर रहे हैं।
जनता भी अब सवाल कर रही है कि आखिर सरकार इतना टैक्स क्यों बढ़ा रही है ? जब सारा चीज जीएसटी के अंदर लाया गया तो पेट्रोलियम पदार्थों को क्यों जीएसटी से बाहर रख आम जनता को लूट रही है ?
निश्चित तौर पर जिस तरह से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि होने से आम जनों में गुस्सा बढ़ रहा है उससे भाजपा को काफी नुकसान हो सकता है, कांग्रेस इसे एक बड़ा मुद्दा बनाकर 2018 के विधानसभा चुनावों में इसका फायदा जरूर लेगी।