याद करिए इंदौर को नंबर वन का जब पहली बार ख़िताब मिला था तब मुख्य आयोजन दशहरा मैदान पर हुआ था।उस समारोह में केंद्रीय मंत्री वैंकया नायडू आए थे। उस कार्यक्रम की तारीख़ में बार बार परिवर्तन हुआ था क्योंकि महापौर खेमे ने ताई को विश्वास में लिए बग़ैर कार्यक्रम तय कर लिया था। वैंकया नायडू के मंत्रालय को #लोकसभास्पीकर के कार्यालय से जब इंदौर के आयोजन को लेकर अनभिज्ञता की जानकारी मिली तो मंत्रालय ने मंत्री जी की व्यस्तता के कारण बता दिए थे। बाद में #शिवराज सिंह ने मध्यस्थता कर ताई की नाराज़ी दूर की तब कहीं समारोह हुआ। यह बात अलग है कि भीषण आँधी-बारिश के कारण समारोह अव्वस्थित रहा। यह भी स्पष्ट है कि ताई के सम्मान में कमी नहीं रखने वाली #मालिनीगौड़ ने तो ऐसा कुछ करने के लिए कहा नहीं होगा लेकिन व्यवस्थाओं के दबाव में घिरी महापौर का किसी नेता ने ध्यान भी आकर्षित नहीं कराया। उस समारोह के दौरान सुमित्रा ताई हावी रहीं उस समारोह में मालिनी गौड़ ने जैसा रवैया रखा, ताई ने अपना वजूद दिखा दिया था।आख़िरकार मालिनी गौड़ ने उस वक्त का जवाब इस आयोजन की तैयारियों के दौरान ही सुमित्रा ताई को दे दिया।
संयोग है कि इंदौर को लगातार दूसरी बार नंबर वन का ख़िताब मिलने पर प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में राष्ट्रीय समारोह आज नेहरु स्टेडियम में हो रहा है। जहाँ भोपाल, चंडीगढ़ आदि शहरों को भी सम्मानित किया जाएगा। यहाँ लगाए गए होर्डिंग्ज-पोस्टर में प्रधानमंत्री मोदी व सीएम शिवराजसिंह तो हैं लेकिन ताई लगभग ग़ायब सी हैं। ताई की सिफ़ारिश पर महिला मोर्चा अध्यक्ष बनीं पद्मा भोजे व अन्य भाजपा नेत्रियाँ ने पार्टी नेताओं को फोन लगाकर कहा कि ताई स्थानीय सांसद के साथ लोकसभा स्पीकर भी हैं, उनका फोटो लगाना चाहिए। नगर भाजपा अध्यक्ष कैलाश शर्मा व आइडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी को फोन लगा दिया। इन दोनों नेताओं ने ये कहकर हाथ खड़े कर दिए कि आयोजन की व्यवस्था नगर निगम के हाथ में है। महापौर मालिनी गौड़ के बिना पत्ता भी नहीं हिलेगा।
बारिश के मौसम में भीड़ जुटाने में आ रहे पसीने
मोदी की इस सभा में क़रीब 35 हज़ार कुर्सियों की व्रयवस्था तो कर ली है लेकिन बारिश के इस मौसम में इतनी भीड़ जुटाने में विधायकों-नेताओं को पसीने आ रहे हैं।विधायकों को भीड़ लाने के लिए १५० बसों की व्यवस्था भी करना है।नगर भाजपा की बैठक में सभी को भीड़ जुटाने का लक्ष्य दिया गया। पार्टी ने सभी मोर्चा प्रकोष्ठों को भी आंकड़े दिए हैं। इसमें युवा मोर्चा को सबसे ज्यादा दस हजार का लक्ष्य दिया है। अजा, अजजा, अल्पसंख्यक व महिला मोर्चा सहित अन्य प्रकोष्ठ को 2-2 हजार लोगों को जुटाने को कहा है।अपनी मेहनत बड़े नेताओं को अलग से दिखा सकें इस दृष्टि से कुछ नेताओं ने अपने लोगों को एक जैसी ड्रेस में लाने, कमल वाली टोपी आदि पहनाने की रणनीति पर भी काम किया है।