राहुल गाँधी के मंदिर जाने पर शोर करने वाले मोदी के मस्जिद जाने पर गूंगे हो गए हैं :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी सिंगापुर दौरे पर गये थे,इस मौके पर वो भारत की धर्मनिरपेक्षता का जमकर प्रचार करते हुए नज़र आ रहे हैं। वो मंदिर भी जा रहे है और मस्जिद भी। सिंगापुर के प्रसिद्ध चुलिआ मस्जिद चले गए। मगर आजतक जामा मस्जिद में या फिर नाज़मुद्दीन दरगाह उन्हें जाते नहीं देखा गया। सवाल उठता है आखिर विदेश में जब धर्मनिरपेक्षता का प्रचार इतने अच्छे से हो सकता है तो अपने देश में क्यों नहीं? प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर की मस्जिद में हरे रंग का साफा भी पहना है और अच्छे से मस्जिद का मुआयना करते हुए नज़र आ रहे है। पीएम के साथ सिंगापुर के संस्कृति मंत्री Grace Yien भी मौजूद थे। मगर कितनी बार देश ऐसा होता है की प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ साथ ज्ञानवापी मस्जिद में कदम नहीं रखते है। अजमेर और निजामुद्दीन दरगाह के लिए चादर भेंट करने के लिए नरेंद्र मोदी आजतक वक़्त नहीं निकल पाए। सिंगापुर के प्रसिद्ध चुलिआ मस्जिद से प्रधानमंत्री के घर की दूरी करीब 6 हज़ार किलोमीटर है तब रास्ता तलाश लेते है, मगर 6 किलोमीटर के अंदर आने वाली मस्जिदों में जाते नज़र नहीं आते है। अजमेर और निजामुद्दीन दरगाह के लिए चादर भेंट करने के लिए नरेंद्र मोदी आजतक वक़्त नहीं निकल पाए। सिंगापुर के प्रसिद्ध चुलिआ मस्जिद से प्रधानमंत्री के ये सवाल उठाना लाज़मी है कि पिछले प्रधानमंत्री में से किसी का ज़िक्र क्यो नहीं होता तो सिर्फ मोदी ही क्यों निशाने पर लिए जाते है? ऐसा इसलिए क्योंकि वो मोदी ही थे जिन्हें साल 2011 सद्भावना उपवास के दूसरे दिन एक मजार के ट्रस्टी सैयद इमाम शाही ने मुस्लिम टोपी पहनानी चाही तो उन्होंने इंकार कर दिया। आज 7 साल गुजर जाने के बाद भी पीएम मोदी में कुछ बदला नहीं है। बदला है तो सिर्फ ये कि वो विदेश में बनी मस्जिदों में जाकर धर्मनिरपेक्षता की सीख दे सकते हैं मगर अपने ही घर से कुछ दूर चलकर उनके जख्मों पर मरहम नहीं लगा सकते जो उन्ही के प्रधानमंत्री रहते कभी अख़लाक़ की शक्ल में आया तो कभी पहलू खान की शक्ल में। पीएम मोदी ने देश के लिए नारा गढ़ा था- ‘सबका साथ सबका विकास’ ये कितना सफल हो पाया इसका पता अगले साल लोकसभा चुनाव में लगेगा। बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य में जनता से सीधे संपर्क के लिए तीन दिन का सद्भावना उपवास रखा था। लेकिन जब 18 सितंबर, 2011 यानी सद्भावना उपवास के दूसरे दिन एक मजार के ट्रस्टी सैयद इमाम शाही ने नरेंद्र मोदी को मुस्लिम टोपी पहनानी चाही तो उन्होंने इंकार कर दिया। उसके बाद नरेंद्र मोदी की ऐसी हिंदूवादी छवि बनी को सीधे भारत के प्रधानमंत्री ही बन गए। देश में आज भी धर्म की राजनीति जारी है। नरेंद्र मोदी इसके अग्रणी पुरोधा हैं। लेकिन दुनिया के सामने पीएम मोदी अपनी इस छवि को उजागर नहीं होने देते। पीएम के मस्जिद जाने की चर्चा ज्यादा हो रही है। ऐसे में अब न्यूज 24 की तेज तर्रार एंकर साक्षी जोशी ने पीएम मोदी के मस्जिद जाने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘यहाँ इनके भक्त मुल्ला, देशद्रोही, पाकिस्तानी, आतंकी न जाने क्या क्या कहते हैं और प्रधानसेवक बाहर जाकर मुसलमानों को रमज़ान की मुबारक देते हैं. राहुल हिंदू होकर अपने ही देश में मंदिर जाएँ तो हो हल्ला मचाएंगे, ये बाहर मस्जिद जाएँ तो कोई शोर न मचाए. दरअसल शोर दोनों ही समय नहीं मचना चाहिए। जिसे जहाँ जाना है जाए, हर किसी को उसके त्योहार की मुबारकबाद देनी चाहिए। पर ये नहीं कि यहाँ दिन भर गरियाते रहो, नमाज़ पढ़ने पर उन्हें भगा दो, उनकी बच्ची का रेप हो तो धर्म देखकर बलात्कारी को बचाने में जुट जाओ और बाहर जाकर मुस्लिम देश को कहो रमज़ान मुबारक, देखो हम कितने अच्छे हैं! अब भारत में ये सवाल उठने लगा है कि पीएम अपने देश में तो धर्म की राजनीतिक करते हैं। मंदिर-मस्जिद, कब्रगाह-श्मशान और दिवाली-ईद के नाम पर वोट मांगते हैं और विदेशों में जाकर धर्मनिरपेक्ष होने का ढ़ोंग करते हैं!

✍ शिल्पी सिंह

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