
कर्नाटक में राज्यपाल की मदद से फिलहाल बीजेपी की सरकार तो बन गयी है, पर बहुमत साबित करने के लिए विधायकों का जुगाड़ करना अभी भी चुनौती बनी हुई है।
येदियुरप्पा ने आनन-फानन में अमित शाह के भरोसे में मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली पर साथ ही हैरानी भी जताई कि पूरा दिन गुज़र जाने के बाद भी अमित शाह एक विधायक भी क्यों नही खरीद पाए।
“जब मोदी जी ने शाह को पूरा खजाना ही खोल के दे दिया है तो आखिर ये मोटा भाई क्यों कुछ नहीं कर पा रहा है!” -येदियुरप्पा ने अमित शाह की क्षमता पर सवाल उठाते हुए फ़ेकिंग न्यूज़ को बताया। वहीँ, येदियुरप्पा के आरोपों को खारिज करते हुए अमित शाह ने साफ किया है कि विधायकों के साथ डील तो हो गई थी पर SBI का सर्वर डाउन होने की वजह से ट्रांजेक्शन नही हो पाया। कर्नाटके 224 में से 222 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। बीजेपी के सिर्फ 104 विधायक जीते हैं जबकि बहुमत के लिए 112 चाहिए। अब बीजेपी आठ विधायक कहां से लाएगी? जाहिर है विधायक बनाने की कोई मशीन तो है नहीं इसलिए बीजेपी कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश करेगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया है कि ”कर्नाटक कांग्रेस ने अपने विधायको को बंधक बना के रखा है, फोन ले लिए हैं न्यूज़ नही देखने दे रहे है। यहां तक कि परिवार वालों से भी बात नहीं करने दे रहे। ये रिसोर्ट पॉलिटिक्स नही बल्कि डरावनी राजनीति है।”
कर्नाटक चुनाव परिणाम के अगले दिन यानी 16 मई को एच डी कुमारस्वामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि जेडीएस के प्रत्येक विधायक को 100 करोड़ रुपए ऑफर किए जा रहे है। और अगर ऐसी स्थिति में कांग्रेस-जेडीएस अपने विधायकों को छिपाए हुए हैं तो दिक्कत क्या है? सवाल तो ये भी उठता है कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कांग्रेस नेताओं से संम्पर्क करने की कोशिश ही क्यों करे रहे हैं? प्रकाश जावड़ेकर को कांग्रेस नेताओं के फोन बंद होने से क्या दिक्कत है? आप को बता दें कि भले ही पूर्ण बहुमत से चंद कदम दूर रह जाने के बावजूद कर्नाटक विधानसभा में भाजपा सरकार का वर्चस्व कायम हो गया हो लेकिन बीएस येदियुरप्पा द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से भाजपा को लगातार हमलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक हमला भाजपा के ही नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने किया है। दरअसल, कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा भाजपा के हित में लिया गया फैसला जेठमलानी को नागवार गुजरा है। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।