सरकार की गुलामी कर देश को सत्ता का गुलाम बना रही गोदी मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नही रही है :

एक अरब की आबादी वाले बेमिसाल मुल्क हिन्दुस्तान के ये पांच पचीस एंकर ग़ुलाम हो चुके हैं। इनकी आज़ादी की दुआ कीजिए। इनके मालिकों की आज़ादी की दुआ कीजिए। ये हाथ में तिरंगा लेकर आपसे दिन रात झूठ बोल रहे हैं। तिरंगे की शान को हर दिन कम कर रहे हैं। जिस तिरंगे को लहराने के लिए लोग सीने पर गोलियां खा गए, उस तिरंगे को हाथ में लेकर ये टीवी चैनल के एंकर सत्ता की खुशी के लिए आपसे झूठ बोल रहे हैं। भारत में मुख्यधारा की मीडिया का कभी इतना स्तर नहीं गिरा, जितना आजकल गिरा हुआ है. मीडिया लगभग समाज विरोधी हो चुका है. वह सत्ता की भाषा बोलता है. मीडिया एक तरह से सरकार-सत्ता का प्रवक्ता बन गया है. वह सत्ता की सुंदर तस्वीर गढ़ने में व्यस्त रहता है.
वक्त बदल चुका है। खबरों की दुनिया में इंटरनेट और सोशल मीडिया का इतना बोलबाला हो गया है कि यह पहचान कर पाना मुश्किल है की कौन सी खबर सच्ची है झूटी है।
पत्रकारिता जगत में एक वाक्य अक्सर सुना जाता था, ‘यह प्रोपेगंडा है, खबर नहीं’। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। खबरों की दुनिया में सोशल मीडिया ने हर किसी को जुबान दे दी है’। यह इसका लोकतांत्रिक पहलू है। लेकिन यह भी सच है कि सोशल मीडिया अफवाहों और फर्जी खबरों का वाहक बन गया है। और हर बात को बड़ा चढ़ा कर सत्ता पार्टी के पक्ष में रात-दिन झूट बोलना।ऐसा लगता है कि मीडिया, खासकर टेलीविजन झूठ को छुपाने में सरकार के लिए एक अभेद कवच का काम कर रहा है। वो सारे लोग, जिन्हें इस स्थिति से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें कहां-कहां मात मिल रही है, इन सबको नजरअंदाज कर ऐसा माहौल बनाने में लगे हैं कि हम सर्वशक्तिमान हैं और रोज पाकिस्तान को और चीन को पीट रहे हैं। पाकिस्तान और चीन को पीटते देख आम भारतीय के मन में एक सुखद अनुभूति पैदा होती है। सरकार को भी ऐसी अनुभूति पैदा करने में कोई हिचक नहीं महसूस हो रही है। फेसबुक पर जिन्हें हम भक्तगण कहते हैं, वो तो पागलों की तरह देश को बेवकूफ बनाने के अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। शायद यही उनके लिए राष्ट्रधर्म है और यही उनका राष्ट्रप्रेम है। मानो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें सीधे सारी सच्चाई बताई हो। अगर सीएजी रिपोर्ट जैसी कोई सच्चाई सामने आती है, तब ये कह देते हैं कि ये कांग्रेस ने करवाया है। इस समय भारतीय जनता पार्टी के नियंत्रण में पूरा देश है इसके बावजूद फेसबुकिये भक्त लोग अपराधियों के जरिए ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि कांग्रेस देश का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है और कुछ पत्रकार जो सच्चाई सामने ला रहे हैं, वो देश का मनोबल तोड़ रहे हैं। सरकार उन लोगों को नहीं पकड़ पा रही है, जो देश का मनोबल तोड़ रहे हैं। हालांकि इनकम टैक्स और ईडी के छापे हर जगह पड़ रहे हैं। दूसरी तरफ, आरोप लगाने में कुछ नहीं जाता, क्योंकि आरोप लगाने वाले बेहैसियत के, बेदिमाग के, बेसमझ लोग हैं, जिन्हें सिर्फ और सिर्फ देशद्रोही कहा जा सकता है। ये ऐसे देशद्रोही हैं, जो देश को कमजोर बनाने में अपनी शान समझते हैं, अपना सर्वज्ञान समझते।सचमुच फेक न्यूज हमारे दौर की एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। जाने-माने लोग भी इसके जरिए पब्लिक मूड को मनचाही दिशा में मोड़ने की कोशिश करने लगे हैं। बहरहाल,

सोशल मीडिया के प्रवाह को रोक पाना तो संभव नहीं है, पर संस्थागत मीडिया ने झूठ और सच में फर्क न किया तो वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दर्जा जरूर खो देगा।

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