बेरोजगारी के आंकडे जारी होते ही मचा हडकंप, मोदी सरकार को पहले ही दिन झेलना पड रहा भारी विरोध

सरकार की ताजपोशी के एक दिन बाद ही श्रम मंत्रालय ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए है. यह आंकड़ें देश की नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर नहीं दे रहे है. चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के दावों को खारिज करती रही सरकार ने भी आखिरकार यह मान लिया कि बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है.

सांख्यिकी मंत्रालय ने 2017-18 के दौरान के बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी कर दिए हैं. 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही. आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है. 

पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2, महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी 
अलग-अलग दोनों की बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2, जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है. हालांकि श्रम मंत्रालय के सचिव ने रोजगार के मुद्दे पर घिरी सरकार का बचाव भी किया. उन्होंने कहा कि सैंपलिंग की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. इसलिए इन आंकड़ों की तुलना पुराने आंकड़ों से नहीं की जानी चाहिए.

गांवों में शहरों की तुलना में बेरोजगारी की दर 2.5 फीसदी अधिक 
अधिकतर यह देखने में आता है कि रोजगार की तलाश में लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं. लेकिन ताजा आंकड़ों को देखें तो शहरों की हालत गांवों से भी खराब है. गांवों में शहरों की तुलना में बेरोजगारी की दर 2.5 फीसदी अधिक है. गांवों में बेरोजगारी का आंकड़ा 5.3 फीसदी है तो वहीं शहरों में 7.8 फीसदी शहरी बेरोजगार हैं. 

अब सबसे बडा सवाल यही है आखिर क्या राष्ट्रवाद मे रोजगार भी शामिल है क्योंकि बीजेपी के पहले कार्यकाल मे बेरोजगारी के सवाल पर कई बार बीजेपी कांग्रेस को जिम्मेदार बताती थी अब इस मुद्दे पर किसे दोषी ठहरायेगे?

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