
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस समीक्षा में जुट गई है। पटना से लेकर दिल्ली तक चिंतन और मंथन का सिलसिला जारी है।
पार्टी के अनुसार दिल्ली ऑफिस से बिहार की सभी 40 सीटों का बूथवार डाटा मांगा गया है। जिसके बाद देखा जाएगा कि पार्टी कहां-कहां कमजोरी रही। गठबंधन वाली सीटों पर क्या स्थिति रही और पिछले लोकसभा चुनाव में इन बूथों पर पार्टी किस हाल में थी।
प्रदेश अध्यक्ष मदनमोहन झा ने भी सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है। बिहार में कांग्रेस की गाड़ी नब्बे के दशक से पटरी से उतरी जो अब तक ट्रैक पर नहीं लौटी है। बीते कई चुनावों से पार्टी का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जहां 37 सीटों पर लड़ी और दो जीती। तो 2014 में राजद के साथ गठबंधन में उसने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा। जीत तब भी दो सीटों पर ही हुई थी। इस बार यह संख्या महज नौ थी और कांग्रेस सिर्फ किशनगंज सीट जीत पाई। हालांकि वोट प्रतिशत में जरूर थोड़ा इजाफा हुआ। इस बार कांग्रेस को 7.70 प्रतिशत वोट मिले जो कि पिछले चुनाव से करीब दो प्रतिशत अधिक हैं।
अब पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा कर रही है तो राज्यवार ब्योरा मांगा गया है। इसी क्रम में बिहार की 40 सीटों का भी बूथवार डाटा मांगा गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है। सदाकत आश्रम में होने वाली बैठक में हार के कारणों की समीक्षा होगी। आगे की रणनीति पर भी बात होगी। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। विधान मंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने भी विधायकों की बैठक बुलाई है।