शिवराज सरकार से उनके ही गृहमंत्री हुए नाराज , पूछा अपना अधिकार

सियासत मे कब क्या हो जाये पता नही चल पाता हैं ऐसा ही अब मप्र की सियासत हो चली है जहा कुछ भी स्पष्ट नही कह सकते मतलब ये समझा जाये कि कभी भी कुछ भी हो सकता है क्योकि जिस तरीके से मप्र मे शिवराज दोबारा सत्ता मे लौटे है उस तरीके से ही वो दोबारा विपक्ष मे जा सकते है ऐसे रुझान अब धीरे धीरे आने शुरु हो चुके हैं।

मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती कमल नाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. नरोत्तम मिश्रा यूं तो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थे, लेकिन सत्ता के दांव-पेच में उन्हें मन मसोस कर गृृह व स्वास्थ्य मंत्री बनना पड़ा। मंत्री बनने के बाद अपने अधिकार को लेकर पहली बार उनकी टीस उभरकर सामने आई है। वह अपने अधिकारों को लेकर अपनी ही सरकार से खफा हो गए हैं।

मिश्रा ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अपने अधिकार और मर्यादा की सीमा बताने को कहा है। दरअसल, इस नाराजगी की तह में कुछ दिन पूर्व सरकार द्वारा ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त संगठन में की गईं वे पदस्थापना हैं, जिनकी खबर गृृहमंत्री को आदेश होने के बाद लगी।

गृृहमंत्री की नाराजगी है कि तबादलों से पहले उनकी राय क्यों नहीं ली गई। अधिकारियों ने गृृहमंत्री को फाइल क्यों नहीं भेजी।

इसके बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृृहमंत्री डॉ. मिश्रा के घर गए और बंद कमरे में उनसे बातचीत कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के बीच अनबन की खबरें सियासत में आए दिन तैरती रहती हैं, लेकिन जब पांच जून को अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके घर पहुंचे, तभी से इसके सियासी मायने तलाशे जा रहे थे। इस मुलाकात को सीएम ने सौजन्य भेंट बताया, लेकिन यह तय हो गया था कि अंदरखाने कुछ न कुछ चल रहा है।

इसके बाद सूत्रों से पता चला कि नरोत्तम मिश्रा पुलिस महकमे के कुछ तबादलों से नाराज हैं। इस नाराजगी को लेकर उन्होंने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को पत्र लिखा है। दरअसल, सरकार ने दो जून को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के कुछ अधिकारियों के तबादले कर नई पदस्थापना आदेश जारी किए। इससे मिश्रा अनभिज्ञ थे।

गृृह विभाग ने इन पुलिस अधिकारियों के तबादले का प्रस्ताव तैयार किया और सीधे मुख्यमंत्री से अनुमोदन करवाकर आदेश जारी कर दिए। नरोत्तम मिश्रा ने अपने पत्र में आपत्ति जताई कि उनके विभाग में पदस्थ अधिकारियों के तबादले से पहले उनसे अनुमोदन क्यों नहीं लिया गया। नाराजगी जाहिर करते हुए मिश्रा ने लिखा कि बतौर गृृहमंत्री उनके अधिकार और मर्यादा भी बता दी जाएं।

दरअसल, राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी होने के नाते इन अधिकारियों की स्थापना गृृहमंत्री के अधीन होती है। सीएस को पत्र मिलने के बाद मचा हड़कंप जैसे ही पत्र मुख्य सचिव को मिला सरकार में खलबली मच गई। मुख्य सचिव ने सारी परिस्थिति से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अवगत कराया। इसके बाद ही नरोत्तम के मान-मनुहार का सिलसिला शुरू हुआ।

दो जून को जिन तीन पुलिस अधिकारियों को बेहतर पदस्थापना से नवाजा गया, वे तीनों ही अधिकारी मुख्यमंत्री सुरक्षा में तैनात रहे हैं। मनु व्यास अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भोपाल से एसपी लोकायुक्त संगठन भोपाल बनाए गए। राजेश मिश्रा पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन उज्जैन को एसपी ईओडब्ल्यू भोपाल बनाया गया। वहीं शैलेंद्र चौहान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रेल भोपाल को एसपी ईओडब्ल्यू उज्जौन बनाया गया।

नरोतम मिश्रा व शिवराज सिंह का जहा विवाद चल रहा है वही अब कैलाश विजयवर्गीय गुट भी दोबारा सक्रिय हो चुका है उपचुनाव को लेकर विजयवर्गीय गुट राजनैतिक गलियारों मे चर्चा तेज कर दी है वो अपने समर्थको को चुनाव लडाना चाहते है वही कांग्रेस से बीजेपी मे गये सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से अब पूरी तरह किनारा कर लिया है मतलब साफ है मप्र की सियासत मे कुछ ठीक नही चल रहा है अब देखने वाली बात है कि जनता द्वारा नकारी हुई शिवराज सरकार कितने दिन सत्ता मे रह पाती हैं?

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