कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘डॉक्टर्स डे’ के मौके पर नर्सों से बातचीत की। राहुल गांधी के साथ चार नर्स जुड़े। राहुल गांधी ने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में आप लोग कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और अपने जान को खतरे में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं।
न्यूजीलैंड से जुड़ी नर्स ने कहा कि मैं आपातकालीन सेवा में काम करती हूं। उन्होंने बताया कि न्यूजीलैंड की पीएम ने समय पर बड़े कदम उठाए, जिसका फायदा देखने को मिला।
राहुल गांधी से बातचीत में एक स्वास्थ्यकर्मी विपिन ने कहा कि भारत के प्राइवेट अस्पतलों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की हालत बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों की सैलरी काटी जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे में सवाल यह है कि आखिर यह स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ेंगे वे अपने परिवार को कैसे देखेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की मदद करनी चाहिए।
शैर्ली, इंग्लैंड: हमारे पास हर रोज मरीज आ रहे थे, शुरुआत में काफी डर था, क्योंकि किसी को कुछ पता नहीं था। जब मैं एक मरीज को देख रही थी तो उसे कोई लक्षण नहीं था, उसके सिर्फ पेट में दर्द था। जब जांच की तो उसकी चेस्ट में कोविड था और वो लगातार गंभीर होता गया। मार्च महीने की शुरुआत में ही डर फैल गया था, जब ब्रिटेन में लॉकडाउन नहीं हुआ था। तब से ही हम पीपीई किट समेत काफी सावधानी बरत रहे हैं।
विपिन, केरल: मुझे भी कोरोना वायरस हो गया। मैं अभी क्वारंटाइन हूं। भारत में 1.2 मिलियन एलोपेथिक डॉक्टर हैं, जबकि 3 मिलियन से ज्यादा नर्स हैं। लेकिन भारत में प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में जमीन आसमान का अंतर है। दिल्ली में पहले सिर्फ 7 हजार टेस्ट कर रहे थे, लेकिन जब टेस्टिंग बढ़ी तो पॉजिटिव रेट बढ़ रहा है। लेकिन फिर दिल्ली में टेस्टिंग कम कर दी गई।
नरेंद्र सिंह, ऑस्ट्रेलिया: जब कोरोना शुरू हुआ तब हमें लगा कि यह एक सामान्य फ्लू होगा। लेकिन जब इसने लोगों की जान लेना शुरू की तो हर कोई हैरान हो गया। इसी के बाद अलग-अलग मोर्चों पर हमने इसके लिए तैयारी शुरू की।
अनु, न्यूजीलैंड: हमारे यहां पर ऑकलैंड जैसे शहर काफी भीड़ वाले हैं, ऐसे में यहां पर काफी लोगों की जान जा सकती थी। लेकिन यहां की सरकार ने काफी अच्छा काम किया और शुरुआत में ही सख्त रुख अपनाया।