जैसे सिंधिया कांग्रेस छोड बीजेपी गये वैसे ही उनके बीजेपी मे जाते ही पुराने वरिष्ठ भाजपा नेता जो अपने आपको असहज महसूस करने लगे है उनकी जो पार्टी में हैसियत थी वो अब शायद खत्म हो चुकी है जिसका जिक्र कई बार उमा भारती शब्द बाण से कर चुकी हैं।
आपको बताए कि शिवराज सरकार मंत्रिमंडल विस्तार के अब बीजेपी में विरोध के सुर उठने लगे हैं। इस बीच वरिष्ठ नेता उमा भारती ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को चिट्ठी लिख डाली, तो वहीं कई नाराज कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं के समर्थन में प्रदर्शन किया।
दरअसल उमा भारती चाहती थीं कि बुंदेलखंड क्षेत्र और लोधी जाति के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिले लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद उन्होंने पार्टी को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की
उन्होंने लिखा कि मैंने पार्टी को एक महिला, ओबीसी और लोधी के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग करने की अनुमति दी। मुझे खुशी है कि कांग्रेस ध्वस्त हुई और सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में मेरे विचार को नजरअंदाज किया गया, ऐसे में फिर से मंत्रियों की सूची में संशोधन हो।
इस बीच मंदसौर में बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के समर्थक धरने पर बैठ गए, वो अपने नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा देवास में गायत्री राजे के समर्थनों ने भी प्रदर्शन किया, वो भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज थे।
बीजेपी में शामिल हुए 22 कांग्रेस विधायकों में से 14 को मंत्री बनाया गया है। इसमें 10 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री हैं। मंत्री बने 11 विधायक सिंधिया के वफादार बताए जाते हैं। ऐसे में देखा जाए तो 34 सदस्यों वाले इस मंत्रिमंडल में 41 प्रतिशत तो पूर्व कांग्रेसी हैं, जबकि 59 प्रतिशत बीजेपी के। वहीं जातीय समीकरण की बात करें तो 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में आठ ठाकुर, तीन ब्राह्मण, एक कायस्थ, एक सिख, 4 मंत्री अनुसूचित जाति और चार अनुसूचित जनजाति से हैं।
बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार से पहले शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से बात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि मंथन से तो अमृत ही निकलता है, विष तो सिर्फ शिव पीते हैं। ऐसे में साफ था कि उन्होंने सिंधिया गुट को संतुष्ट करने के लिए कई नेताओं को नाराज किया है।
सिंधिया समर्थक छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद 20 मार्च को कमलनाथ को भी इस्तीफा देना पड़ा और 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गई। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच 29 दिन तक वो अकेले ही सरकार चलाते रहे। इसके बाद 5 मंत्रियों वाली मिनी कैबिनेट ने 21 अप्रैल को शपथ ली, जिनमें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत शामिल थे।