कहने को तो सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी राहुल गांधी की पूरी पार्टी पर पकड़ है, लेकिन हाल के दिनों में जब भी कांग्रेस पर कोई संकट आया है तो एक चेहरा सबसे ज्यादा सक्रिय हो कर सामने आता है और उस संकट के सामने दीवार बन कर खड़ा हो जाता है. उस चेहरे का नाम है, प्रियंका गांधी वाड्रा. जो अब कांग्रेस की संकटमोचक बन कर उभर रही हैं.
कांग्रेस पर आये किसी भी संकट में प्रियंका गांधी की सक्रियता जरूर देखने को मिलती है. चुनावी फैसलों से लेकर पार्टी नेताओं से जुड़ीं तमाम समस्याएं प्रियंका गांधी के दखल से समाधान तक पहुंच जाती हैं. ताजा मिसाल राजस्थान का है, जहां सचिन पायलट की नाराजगी अशोक गहलोत सरकार पर भारी पड़ रही थी. कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता इस संकट को सुलझाने की कोशिश में नाकाम हो चुके थे. आखिर में प्रियंका गांधी की इंट्री हुई और उन्होंने सचिन पायलट को मनाकर बीजेपी का पांसा पलट दिया.
ये पहला मौका नहीं है, जब मुश्किल घड़ी में प्रियंका गांधी अपनी पार्टी के लिए संकटमोचक बनकर उभरी हों. इससे पहले भी प्रियंका गांधी ने बड़ी भूमिका अदा की है. राजस्थान में दिसंबर 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद जब मुख्यमंत्री पद पर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच घमासान मचा हुआ था, तो उस वक्त भी प्रियंका गांधी ने ही राहुल गांधी के साथ मिलकर सचिन पायलट के साथ बातचीत की और उन्हें उपमुख्यमंत्री पद के लिए मनाया था.
प्रियंका गांधी पहले अहम मौकों पर ही पार्टी के लिए काम करती थीं, लेकिन 23 जनवरी 2019 को वो आधिकारिक रुप से कांग्रेस का हिस्सा बनी और उसके बाद उनकी सक्रियता बढ़ गई. साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन कराने में भी प्रियंका गांधी की अहम भूमिका थी. पहले कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आखिर में प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से बात कर गठबंधन को स्वरूप दिया.
पिछले कुछ समय में खासकर उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने हर बड़े मुद्दे पर सबसे आगे बढ़कर बीजेपी और योगी सरकार की आलोचना की है. सीएए प्रदर्शन के दौरान मारे गये लोगों के घर पहुंचने की बात हो या जमीन विवाद में नरसंहार की घटना, प्रियंका ने खुद जमीन पर उतरकर सरकार को आईना दिखाने का काम किया.
अब जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर संकट नजर आ रहा था तो उसको भी प्रियंका गांधी ने पूरी तरह से खत्म कर दिया है. 10 अगस्त को दिल्ली में सचिन पायलट की मुलाकात प्रियंका गांधी से हुई थी. इस बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे. बैठक में पायलट की बातों को सुना गया और फैसला किया गया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जायेगा. इस तरह सचिन पायलट अपनी नाराजगी भूल कर वापस पार्टी में लौटने के लिए तैयार हो गये. शायद इसलिए अब कांग्रेस में ये कहा जाने लगा है कि प्रियंका है तो मुमकिन है.