मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव नजदीक आते जा रहा है वैसे-वैसे प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ती जा रही है है। प्रदेश के नेताओ के दल-बदल का दौर जारी है। दोनों दल एक दूसरे के मजबूत नेताओ को अपने पाले में लाकर अपने को मजबूत करने में लगी है।
ऐसे में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सुरखी की पूर्व विधायक पारुल साहू भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई है। गौरतलब है कि भाजपा के टिकट पर सुरखी से 2013 में पारुल साहू चुनाव लड़ीं थी और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को हराया था। लेकिन पारुल साहू 2018 में गोविंद सिंह से सिर्फ कुछ अंतर से हार गई थीं।
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में भाजपा को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले ग्वालियर से भाजपा नेता और पूर्व विधायक सतीश सिकरवार भी कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं।
कांग्रेस की सदस्यता लेने के साथ ही पारुल साहू ने कहा कि वह सुरखी की जनता की आवाज बनकर अहंकार और डर के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं।
पारुल ने कहा कि आज उनकी घर वापसी हुई है और अब वह अपने परिवार में वापस आई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पारुल साहू को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई और इस दौरान उन्होंने भाजपा और शिवराज पर निशाना साधा। कमलनाथ ने कहा कि शिवराज अपनी जेब में नारियल लेकर चलते हैं। वह जहां भी जाते हैं, नारियल फोड़ देते हैं और घोषणा कर देते हैं। उन्होंने कहा कि पारुल साहू ने मध्यप्रदेश की सच्चाई को पहचानते हुए कांग्रेस का साथ दिया है। कमलनाथ ने कहा कि पारुल साहू का परिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा है और आज इनकी घर वापसी हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज शर्म आती है, जब देश में मध्य प्रदेश का नाम बिकाऊ राजनीति के लिए आता है। भाजपा को यह समझ लेना चाहिए कि कुछ नेता बिक जरूर सकते हैं, पर प्रदेश के ईमानदार मतदाताओं के ईमान को भाजपा कभी खरीद नहीं सकती। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश में संविधान और प्रजातंत्र के साथ खिलवाड़ किया है। इसका फैसला जनता इस उपचुनाव में करेगी।
प्रदेश की ये उपचुनाव कई मायने में अहम है क्योंकि इससे ना सिर्फ मुख्यमंत्री और सरकार का फैसला होगा बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह , कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेताओं का भविष्य भी इसी चुनाव पर टिका है।