केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसानों के करीब 50 दिनों के प्रदर्शन के बाद अब विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी अपने घटक दलों के साथ किसानों के मुद्दे पर आर-पार के मूड में आ चुकी है।
कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए कांग्रेस 15 जनवरी को पूरे देश में किसान अधिकार दिवस का आयोजन करेगी।
पार्टी ने फैसला किया है कि वह तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए आगामी 15 जनवरी को सभी राज्यों में ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाएगी. इसके साथ ही, उसने यह ऐलान भी किया है कि राज्यों में उसके नेता और कार्यकर्ता राजभवनों तक मार्च निकालेंगे।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शनिवार को बताया कि कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में राज्यों के महासचिवों और प्रभारियों की बैठक आयोजित की गई। इसमें यह फैसला किया गया कि पार्टी देश के किसानों से मजबूती से खड़ी रहेगी।
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बनाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश के किसान बीते करीब डेढ़ महीने से आंदोलनरत हैं. इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए सरकार और किसानों के बीच अब तक करीब 9 दौर की बैठक भी हो चुकी है, लेकिन इन बैठकों में अभी तक कोई माकूल समाधान नहीं निकल पाया है. अब अगले दौर की बैठक आगामी 15 जनवरी को तय की गई है. कांग्रेस भी किसान और सरकार के बीच होने वाली अगले दौर की बैठक के ही दिन किसान अधिकार दिवस आयोजित करने का फैसला किया है.
संवाददाता सम्मेलन में सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी के प्रदेश मुख्यालयों में आगामी 15 जनवरी को किसान अधिकार दिवस के रूप में जनांदोलन की शुरुआत करने का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया है. उन्होंने कहा कि इस मौके पर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता रैली और धरने में शामिल होंगे. इसके बाद राजभवन तक मार्च निकालकर तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की अपील करेंगे.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को देश के अन्नदाताओं की चेतावनी को समझने का वक्त आ गया है, क्योंकि देश का किसान इन तीनों काले कानूनों को खत्म कराने के लिए ‘करो या मरो’ की राह पर चल पड़ा है. उन्होंने कहा कि सरकार सरकार देश के किसानों को ‘थकाने और झुकाने’ की साजिश कर रही है. वह काले कानून खत्म करने की बजाय 40 दिन से ‘मीटिंग-मीटिंग’ खेल रही है तथा किसानों को ‘तारीख पर तारीख’ दे रही है।
कांग्रेस पार्टी लगातार किसानों के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर रही है एवं शुरू से ही कांग्रेस के नेता कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।