राफेल डील को लेकर कांग्रेस एक बार फिर से केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर नजर आ रही है। फ्रांस द्वारा भारत के साथ 59 हजार करोड़ रुपये की राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच का आदेश दिए जाने के बाद से कांग्रेस फिर से इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गई है।
कांग्रेस पूर्व के तरह ही इस डील को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग कर रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर फिर से हमला बोला है।
राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक पोल चालू किया है और पूछा है कि जेपीसी जांच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है? इसमें चार ऑप्शन भी दिए हैं- अपराधबोध, मित्रों को भी बचाना है, जेपीसी को राज्यसभा सीट नहीं चाहिए, ये सभी विकल्प सही हैं।
इस पोल में भाग लेने वाले अधिकांश लोगों ने उपरोक्त सभी विकल्पों को सही बताया है। जबकि एक दिन पहले राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में हैशटैग राफेलस्कैम का इस्तेमाल करते हुए लिखा था, ‘चोर की दाढ़ी.’
दरअसल, फ्रांसीसी वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ के अनुसार, दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच गत 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई. इस डील पर फ्रांस और भारत के बीच 2016 में हस्ताक्षर हुए थे. डील में कथित अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में ‘मीडिया पार्ट’ की एक रिपोर्ट सामने आने और फ्रांसीसी एनजीओ ‘शेरपा’ की ओर से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पीएनएफ द्वारा जांच का आदेश दिया गया है. ‘मीडिया पार्ट’ से संबंधित पत्रकार यान फिलिपीन ने कहा कि 2019 में दायर की गई पहली शिकायत को पूर्व पीएनएफ प्रमुख की ओर से ‘दबा दिया गया था.’
अप्रैल महीने में इस वेबसाइट ने फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए दावा किया था कि राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविशन ने एक भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे. दसॉं एविएशन ने इस आरोप को खारिज कर दिया था और कहा था कि अनुबंध को तय करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
2019 के चुनाव से पहले राहुल गांधी ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था मगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने इसको लेकर कांग्रेस पर ही निशाना साधना शुरू कर दिया था। फ्रांस में इस डील को लेकर हो रहे जांच के बाद कांग्रेस फिर एक बार आक्रमक है।