उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विज्ञापन के जरिए अपना प्रचार प्रसार करवाने में पैसा पानी की तरह बहा रही है। ताकि वह दोबारा सत्ता में आ सके। योगी सरकार को अपने काम से ज्यादा विज्ञापन के जरिए प्रचार प्रसार पर अधिक भरोसा लग रहा है।
उत्तर प्रदेश के मौजूदा हालात को अगर देखा जाए तो योगी के नेतृत्व में बीजेपी की वापसी काफी मुश्किल लग रही है। क्योंकि कानून व्यवस्था से लेकर बेरोजगारी तक तमाम मुद्दों से घिरी हुई है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार। बहुत हुआ महिलाओं पर अत्याचार अबकी बार मोदी सरकार का नारा देकर 2014 में बीजेपी ने केंद्र में सरकार बनाई थी। उसके बाद जोर शोर से कई तरह के नारे देकर शमशान कब्रिस्तान के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश करके बीजेपी ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव भारी मतों से जीत लिया था।
जनता को रोजगार से लेकर उत्तर प्रदेश अपराध को खत्म करने तक के दावों पर भरोसा था और उसने बीजेपी को वोट दिया। लेकिन आज जनता के हाथ खाली है। महंगाई आसमान छू रही है, लेकिन बीजेपी शासित राज्य उस पर नहीं बोल सकते। क्योंकि केंद्र में बीजेपी की ही सरकार है। जनता पर बीजेपी की राज्य सरकारों का होना भारी पड़ रहा है।
इन सबके बीच एबीपी न्यूज़ का सी वोटर सर्वे आया है जो अपने आप में सारी कहानी बयां कर रहा है। सी वोटर सर्वे के जरिए लगातार जनता का ओपिनियन दिखाकर बीजेपी को बढ़त दिखाने की कोशिश में मीडिया है। लेकिन मीडिया के ही सी वोटर सर्वे में लगातार बीजेपी पिछड़ती की जा रही है।
इस महीने यानी नवंबर में जो एबीपी न्यूज़ का सी वोटर सर्वे आया है उसमें उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 213 सीटें दी जा रही हैं। इससे पहले अक्टूबर में एबीपी न्यूज़ का सी वोटर सर्वे में बीजेपी को 240 सीटें दी जा रही थी। उससे पहले सितंबर में बीजेपी को सी वोटर सर्वे के जरिए एबीपी न्यूज़ 270 सीटें दे रहा था।
एबीपी न्यूज़ के सी वोटर सर्वे में ही उत्तर प्रदेश के बदलाव की कहानी दिखाई दे रही है। लगातार सी वोटर सर्वे में भी बीजेपी की सीटों की संख्या हर महीने कम होती जा रही है। कहा यही जा सकता है कि बीजेपी का दायरा सिमट रहा है। भ्रम जाल टूट रहा है और वह भी तब जब विज्ञापन पर पैसा पानी की तरह बीजेपी बहा रही है।