उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में पुलिस हिरासत के दौरान 22 साल के अल्ताफ़ की मौत की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है। पुलिस के बयान पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया आ रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस पर कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। मीडिया द्वारा यह जानकारी निकल कर आ रही है कि अल्ताफ़ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें अल्ताफ़ की मौत की वजह फांसी बताई जा रही है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि, उसकी मौत फांसी पर लटकने से हुई है। दूसरी तरफ इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और जांच शुरू कर दी गई है। पिछले कुछ मामलों को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश पुलिस पर कई तरह के सवाल उठे हैं।
उत्तर प्रदेश की पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही है और जो थ्योरी दी जाती है उस पर भी भरोसा करना काफी मुश्किल होता है और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक कई तरह के आरोप लगाए जाते हैं।
दूसरी तरफ इस पूरे मामले पर न्यूज़क्लिक के पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने एक ट्वीट किया है, जो किसी भी आम इंसान को अंदर से झकझोर सकता है। उन्होंने लिखा है कि, मुझे ये बात परेशान नहीं कर रही कि पुलिस कस्टडी में अल्ताफ़ को मार दिया गया। लेकिन मुझे ये बात अंदर तक कचोट रही है कि ये सब जानते हुए भी हमारी संवेदनाएँ प्रतिक्रिया नहीं कर रहीं। अन्यथा देश की एक-एक सड़कों पर न्याय माँगने वाले लोग खड़े होते। ख़ैर….
आपको बता दें कि जिस वक्त निर्भया का कांड हुआ था, उस वक्त पूरे देश में आक्रोश था। देश की जनता सड़कों, चौराहों पर, गलियों में कैंडल मार्च कर रही थी। ऐसा लगा था कि मानो देश की जनता जाग चुकी है। किसी भी अपराध पर अब वह खामोश नहीं बैठेगी। लेकिन पिछले कुछ समय से देखा गया है कि ऐसे अपराध के मामलों पर जनता खामोशी अख्तियार कर ले रही है। 2014 से पहले और उसके बाद में यही फर्क आया है।