15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी आदिवासियों के एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर 15 नवंबर को मध्यप्रदेश जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा।
जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल में कुल 4 घंटे तक रहेंगे। इस दौरान 1 घंटे 15 मिनट का अपना वक्त वह मंच पर देंगे। बड़े-बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं। पिछले 1 सप्ताह से लगभग तीन सौ कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे हुए हैं।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके मुताबिक इस कार्यक्रम में कुल ₹23 करोड़ मध्य प्रदेश की सरकार खर्च कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम में जो पैसा खर्च हो रहा है वह मध्य प्रदेश की सरकार दे रही है। इन पैसों में से 13 करोड़ रुपए तो केवल बाहरी लोगों को लाने और ले जाने में लग जाएंगे।
सवाल यहां पर यह उठता है कि आखिर यह मध्य प्रदेश सरकार का तो कार्यक्रम है नहीं यहां पर तो इस कार्यक्रम की तैयारियों में बीजेपी के कार्यकर्ता लगे हुए हैं पार्टी का प्रचार होगा इस कार्यक्रम के जरिए आदिवासी वोट बैंक को टारगेट करने की कोशिश की जाएगी फिर जनता के टैक्स का पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है क्यों पार्टी फंड से यह पैसा नहीं लगाया जा रहा है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप को गरीब का बेटा कहते हैं। गरीबों का प्रधान सेवक कहते हैं। लेकिन देश की जनता महंगाई से त्रस्त है, बेरोजगारी चरम सीमा पर है। ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री के दौरे पर भीड़ इकट्ठा करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार इतना पैसा खर्च क्यों कर रही है? जनता को इन पैसों से राहत नहीं दी जा सकती है?
आखिर नेता अपने प्रचार प्रसार पर कब तक जनता के टैक्स का पैसा लुटाते रहेंगे। अगर खुद की पार्टी का प्रचार ही करना है तो फिर पार्टी फंड का पैसा कब काम में आएगा? मध्य प्रदेश सरकार को यह क्लियर करना चाहिए कि आखिर एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक यह पैसा मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से क्यों खर्च किया जा रहा है, पार्टी फंड से क्यों नहीं?