देश के सबसे बड़े सूबे में बस कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव है। तमाम राजनीतिक दल अपने हिसाब से इसकी तैयारियां भी करने लगे हैं। बीजेपी भी 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव जिताने का सारा दारोमदार अगर किसी के कंधे पर सबसे अधिक है तो वह खुद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के। योगी आदित्यनाथ भी लगातार बयानबाजी और शिलान्यास के बहाने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए जनता से रूबरू होने की कोशिश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिछले कुछ बयान देखे जाएं तो वह जनता के मुद्दों से काफी दूर नजर आते हैं। कई सौ साल पहले क्या कुछ हुआ, उस मुद्दे पर बात करके जनता को जनता के मुद्दों से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और बहुत पहले अन्याय हुआ था या नहीं हुआ था ऐसे मुद्दों को उछाल कर जनता को बरगला कर उनका वोट लेने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसी भी बातें कर रहे हैं जिससे लग रहा है कि वह चाहते है की जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर बात न हो। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहां है कि, जो लोग विभाजन की बात करते हैं, वे प्रत्यक्ष रूप से तालिबानीकरण का समर्थन करने का कार्य करते हैं। तालिबान के समर्थन का मतलब- ‘मानवता विरोधी शक्तियों को समर्थन’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह पता होना चाहिए कि तालिबान अपनी बातों के अलावा किसी की बात नहीं मानता। किसी भी धर्म को नहीं मानता। किसी भी लोकतंत्र को नहीं मानता। तालिबान को दूसरे धर्मों के लोगों से प्यार नहीं है। दूसरे धर्म का वर्चस्व बर्दाश्त नहीं है। दूसरे धर्म के लोगों के साथ उनके धर्म के लोग भाई चारे के साथ रहे यह बर्दाश्त नहीं है।
विपक्ष कहीं से भी तालिबान का समर्थक नहीं रहा है विपक्ष ने कहीं भी तालिबान का समर्थन नहीं किया है लेकिन जैसा तालिबान अफगानिस्तान में कर रहा है भारत में वैसी मानसिकता के लोग किस पार्टी में है, यह क्या देश की जनता को बताने की जरूरत है?
तालिबान चाहता है कि अफगानिस्तान में उसका एकछत्र राज रहे, भारत में ऐसा कौन चाहता है? कौन विपक्ष को दबाना चाहता है? क्या यह बातें किसी से छुपी हुई हैं? फिर तालिबानी करण कौन करना चाहता है?