बीजेपी मुद्दों पर चुनाव कब लड़ेगी? ऐसा लंबे समय से देश की राजनीतिक पार्टियां और जनता द्वारा पूछा जा रहा है। जनता के मुद्दों को छोड़कर देश की समस्याओं को छोड़कर बीजेपी हर मुद्दे पर बात कर रही है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए 2022 का चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। इसका आभास बीजेपी को भी हो चुका है। बीजेपी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है, लेकिन जनता के मुद्दों पर बात करने के लिए नहीं।
उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की तरफ से एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया गया है बीजेपी के कार्यकर्ताओं के लिए। स्वतंत्र देव सिंह बीजेपी के कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया है कि, दलितों को राष्ट्रवाद के बारे में समझाइए।
उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की तरफ से बीजेपी के कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि दलितों को आप लोग समझाओ कि, वोट जाति और पैसे के दम पर मत करो वोट राष्ट्रवाद के नाम पर करो।
वोट पैसे और जाति के नाम पर नहीं करना चाहिए यह बात बिल्कुल सही कही है उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष ने। लेकिन राष्ट्रवाद के नाम पर वोट करने का क्या मतलब है क्या है राष्ट्रवाद? बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ने यह क्यों नहीं कहा कि दलितों को समझाया जाए कि रोजगार के नाम पर वोट कीजिए, महंगाई के नाम पर वोट कीजिए?
आखिर बीजेपी जनता को जनता के मुद्दों से दूर क्यों करना चाहती है? शिक्षा के नाम पर, स्वास्थ्य के नाम पर वोट क्यों नहीं लेना चाहती? क्या जनता के मुद्दों पर पिछले 5 साल में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के द्वारा काम नहीं किया गया है? क्यों राष्ट्रवाद की आड़ में बीजेपी जनता को गुमराह करना चाहती है?
बीजेपी के नेताओं के बयानों से साफ है कि उत्तर प्रदेश का चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं रहने वाला है। उत्तर प्रदेश की जनता बीजेपी की नीतियों से परेशान है इसका अंदाजा बीजेपी के नेतृत्व हो चुका है। बीजेपी एक बार फिर से हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान, तालिबान तथा राष्ट्रवाद की आड़ लेकर उत्तर प्रदेश की चुनावी नैया पार करना चाहती है।