बुलंदशहर में भी हाथरस जैसी दरिंदगी, पीड़ित परिवार से मिली प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुलंदशहर में गैंगरेप पीड़िता के परिवार वालों से 15 मिनट तक मुलाकात की। करीब 200 मीटर पैदल चलकर प्रियंका गांव पहुंचीं। प्रियंका ने पीड़िता की रो रही मां को गले लगाकर ढांढस बंधाया।

पीड़ित परिवार ने प्रियंका को आपबीती बताई, जिस पर प्रियंका ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि वह मामले को दबने नहीं देंगी। मिलकर लड़ाई लड़ेंगी और न्याय दिलाएंगी। उन्होंने पीड़िता के परिजनों का मोबाइल नंबर भी लिया और जल्द संपर्क करने की बात कही।

मीडिया से बात करते हुए प्रियंका ने कहा कि यहां पुलिस और प्रशासन ने मामले को पूरी तरह से दबाने की कोशिश की है। जिस तरह से हाथरस में पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया, उसी तरह से यहां भी किया गया। परिवार पर दबाव डालकर रात में अंतिम संस्कार किया गया। यही नहीं पुलिस ने नाबालिग को बालिग बता दिया।

प्रियंका ने कहा कि उन्होंने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है कि मामले को दबने नहीं देंगी, जो लड़ाई लड़नी है हम उनके साथ खड़े हैं, हम लड़ेंगे और न्याय उनको मिलेगा। प्रियंका ने पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया है।

पीड़िता के परिजनों का नोट किया मोबाइल नम्बर
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीड़िता के परिजनों का मोबाइल नम्बर भी लिया। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही उनसे संपर्क करेंगी। वह बिल्कुल भी खुद को अकेला और असहाय न समझें। हम कंधे से कंधा मिलाकर यह लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस की तरफ से आर्थिक सहयोग भी दिया जाएगा। पार्टी के जिलाध्यक्ष जल्द ही सहयोग राशि आप तक पहुंचा देंगे।

उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन सिर्फ और सिर्फ जो अत्याचार कर रहे हैं, जो अपराधी हैं उनकी तरफ खड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम पीड़ित परिवार की हर स्तर से मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि FIR में जो धाराएं लगानी चाहिए थी, वो धाराएं भी नहीं लगाई। FIR की कॉपी अभी परिवार को नहीं मिली है। लोग डरे हुए हैं, कह रहे हैं कि पुलिस, प्रशासन मिले हुए हैं।

बता दें कि 2 फरवरी को बुलंदशहर में गैंगरेप की घटना सामने आई थी। यहां खेत में काम करने गई किशोरी की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई। पुलिस ने खुद तो शव नहीं जलाया, बल्कि परिवार को धमकाकर आधी रात को ही पीड़ित का अंतिम संस्कार करने को कथित रूप से मजबूर किया। बुलंदशहर और अलीगढ़ की सरहद पर बसे एक गांव में 21 जनवरी को पुलिस-प्रशासन ने डरा-धमकाकर मामले को दबा दिया था।

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