कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं पर बरसी प्रियंका गांधी, कहा जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं उसके लिए हिम्मत चाहिए !

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में बेबाकी से अपनी राय रखी। सरकारी एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल पर वो बीजेपी पर बरसीं तो अपने बागी नेताओं को डरपोक कहकर टाल दिया। केंद्र की मुफ्त अनाज योजना को उन्होंने जरूरी बताते हुए सरकार से सवाल पूछा कि क्या लोगों को इसी स्थिति में रखने का इरादा है। वो इन लोगों को उबारने के लिए आखिर कब काम करना शुरू करेगी।

बागी नेताओं पर उनका कहना था कि मैं क्या कहूं, ये इनकी निजी हालात हैं। वो मुझसे बात करते थे कि भविष्य में क्या होगा। आज हम जिनसे लड़ाई लड़ रहे हैं वो केंद्रीय एजेंसियों के सहारे लोगों को आवाज बंद कर रहे हैं। कांग्रेस से पलायन करने वाले नेताओं के सरकारी बंगले चले गए थे। ये लोग चुनाव हारने के बाद सुख सुविधा से वंचित थे।

उनका कहना था कि आज जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं उसके लिए हिम्मत चाहिए। ये नेता गए वो साहसी नहीं थे। इनमें से बहुत से नेता ऐसे थे जिन्हें कांग्रेस ने बड़े बड़े मौके दिए थे। इनके छोड़ना हमारे लिए फायदेमंद रहा। क्योंकि इससे संघर्ष करने वालों को मौका मिल सकेगा।

चुनाव लड़ने के सवाल पर उनका कहना था कि लड़ना तो है। जब ठीक लगेगा लड़ लेंगे। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि वो तीन सालों से सूबे में घूम रही थीं। जब राहुल अध्यक्ष थे तो मैने उनसे कहा था कि जहां मेरा बेहतर इस्तेमाल हो वहां मैं काम करने को तैयार हूं। राहुल ने मुझसे पूछा था कि संघर्ष करने को तैयार हो तो मेरा जवाब हां में थे। उसके बाद मैने यूपी की तमाम जगहों पर जाकर लोगों से संवाद किया। मैं लगातार यहीं पर सक्रिय हूं। मेरा मकसद पार्टी को मजबूत करना है। उनका कहना था कि हम जीतकर उभरेंगे।

मुद्दों पर आधारित राजनीति के सवाल पर उनका कहना था कि जहां मैं जाती हूं वहां लोगों को परेशान देखती हूं। चाहें किसान हो या फिर महिला। बिजली बिलों से लोग परेशान हैं। नौजवान बेरोजगार हैं। उनके पास काम करने को नहीं है। कहीं कोई तरक्की नहीं हुई। जब मैं ये बात करती हूं तो लोग सुनते हैं। मुफ्त में अनाज देने पर उनका कहना था कि दो ठीक है पर लोगों को सशक्त तो करो। लोग फ्री अनाज पर आश्रित हो रहे हैं। नौजवानों को आपने आत्मनिर्भर बना रखा है। जबकि सरकार को उन्हें कोई न कोई काम करने का देना चाहिए।

गर्मी-चिलम पर हो रही चर्चा पर उनका कहना था कि जनता का मतलब बेरोजगारी और महंगाई से है। परेशान लोगों की बात करना कोई गुनाह नहीं है। हमारा कहना है कि ऐसे लोगों का इस्तेमाल बंद होना चाहिए। लोगों को उबारने की बात करें।

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