राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी मोर्चे का नेतृत्व नहीं करेंगे और वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का अध्यक्ष बनने के भी इच्छुक नहीं हैं।
पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में पवार ने यह भी कहा कि केंद्र में भाजपा का विकल्प पेश करने के मकसद वाली किसी भी पहल से कांग्रेस को बाहर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, ”मैं भाजपा के खिलाफ विभिन्न दलों वाले किसी भी मोर्चे की अगुवाई करने की कोई जिम्मेदारी नहीं उठाने जा रहा।” साथ ही उन्होंने कहा कि वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अगुवाई भी नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, ”हाल में हमारी पार्टी (राकांपा) के कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने मुझे संप्रग का अध्यक्ष बनने के लिए कहते हुए एक प्रस्ताव पारित किया लेकिन मैं उस पद का इच्छुक नहीं हूं।” पवार ने कहा कि अगर भाजपा का विकल्प पेश करने की कोशिश की जाती है तो मैं उसमें सहयोग के लिए तैयार हूं। उन्होंने कहा, ”हम यह करते रहे हैं। जब यह कहा जाता है कि विपक्ष को एक साथ आना चाहिए तो कुछ तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सबसे मजबूत पार्टी है और उनके पास जनता का समर्थन है। उसी तरह क्षेत्रीय दल भी अपने-अपने राज्यों में मजबूत हैं।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस बेशक अभी सत्ता में न हो लेकिन उसकी देशभर में मौजूदगी है। उन्होंने कहा, ”आप हर गांव, जिले और राज्य में कांग्रेस के कार्यकर्ता पाएंगे। सच्चाई यह है कि विकल्प पेश करते हुए कांग्रेस को शामिल करना जरूरी है।” भाजपा नेता नितिन गडकरी के कांग्रेस को मजबूत होने की आवश्यकता बताने वाले बयान पर पवार ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्षी दल की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ”अगर केवल एक पार्टी ही मजबूत होती है तो यह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जैसा हो जाएगा। उन्होंने और चीन के राष्ट्रपति ने जीवित रहने तक अपने देशों का नेतृत्व करने का संकल्प लिया है। मैं उम्मीद करता हूं कि भारत के पास ऐसा पुतिन नहीं होना चाहिए।”
पवार ने कहा कि देश में महंगाई एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन में हर दूसरे दिन ईंधन की कीमतें बढ़ायी जा रही हैं, जो न केवल आम लोगों के खर्चों पर असर डाल रही है बल्कि कीमतें बढ़ने और परिवहन की लागत बढ़ाने में भी योगदान दे रही है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बोलते हुए पवार ने कहा कि फिल्म इस तरह से बनायी गयी है कि अन्य धर्मों के लोग आक्रोशित होंगे। उन्होंने दोहराया कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के निर्वासन के दौरान केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी न कि कांग्रेस की।