लगभग 9 साल बाद हो रहा है कांग्रेस का चिंतन शिविर, गुजरात से नजदीकी की वजह से चुना गया है मेवाड़

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लगभग 9 साल बाद हो रहा है कांग्रेस का चिंतन शिविर गुजरात से नजदीकी की वजह से चुना गया है मेवाड़, कांग्रेस पार्टी इन दिनों एक बार फिर चुनावी रणभूमि में मजबूती से उतरने की तैयारी में है. इसी वजह से 9 साल बाद कांग्रेस राजस्थान के उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर करने जा रही है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से उदयपुर शहर में चिंतन शिविर के लिए दो लग्जरी होटल बुक किए गए हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने उदयपुर जाकर चिंतन शिविर के लिए कई होटल देखे थे, जिनमें से दो होटल फिलहाल फाइनल कर लिए गए हैं. हालांकि चिंतन शिविर की तैयारियों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सीएम अशोक गहलोत राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट दोनों से मिलकर फीडबैक ले चुकीं हैं.

कांग्रेस का ये राष्ट्रीय चिंतन शिविर 13 से 15 मई तक प्रस्तावित चिंतन शिविर में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी प्रशांत किशोर सहित पार्टी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे. इस चिंतन शिविर में कांग्रेस के सभी सांसदों विधायकों को बुलाया गया है. साथ ही पार्टी के पदाधिकारियों सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रण भेजा गया है।

मिशन 2024 के तहत कांग्रेस के एक्शन प्लान के बारे में सभी को जानकारी दी जाएगी. जिस पर चर्चा के लिये प्रशांत किशोर भी मौजूद रहेंगे. वहीं पांच राज्यों की हार के बाद तीन दिन तक चलने वाले इस शिविर में नेताओं व कार्यकर्ताओं से हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी. साथ ही कांग्रेस गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ ही अगले वर्ष होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाएगी।

कुछ नेताओं की और से कार्यक्रम के दौरान नई रणनीति बनाने के साथ ही राहुल गांधी की अध्यक्ष के तौर पर फिर से ताजपोशी की जा सकती है. जैसा कि 9 साल पहले चिंतन शिविर में ही राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई थी. इसी तरह का चिंतन शिविर साल 2013 में जयपुर हुआ था. उस समय शिविर में 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने की तैयारियों रणनीति को लेकर चर्चा की गई थी. तब राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था. संयोग है कि तब भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे।

हालांकि जानकार ये मानते हैं कि दो कारणों से चिंतन शिविर के लिए मेवाड़ को चुना गया है. उनका कहना है कि जिस तरह दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह राजस्थान की गद्दी पर बैठने के लिए मेवाड़ को फतह करना जरूरी है. राजस्थान सीएम अशोक गहलोत भी मेवाड़ फतह करने की चाह रखते हैं.

दूसरा कारण ये है कि यह इलाका गुजरात से लगा हुआ करीबी क्षेत्र है. दिसंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव है कांग्रेस पार्टी के इस चिंतन शिविर में गुजरात में 27 साल पुराने बीजेपी के किले को भेदने की रणनीति तैयार की जाएगी, मेवाड़ में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीट जीतती है, उसी की सरकार जयपुर में बनती है तो ये गुजरात के साथ-साथ राजस्थान के आगामी चुनावों की रणनीति के तहत भी फिट माना जा रहा है।

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