दिग्गी राजा को राजनीतिक का चतुर खिलाड़ी कहा जाता है। वह बीजेपी की रणनीति को बखूबी समझ रहे हैं। उन्हें यह भी पता है कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बीजेपी से मुकाबले के लिए सिंधिया से सीधे लड़ना होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिग्गी राजा के गढ़ में जाते ही एक बार फिर से रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा होने लगी है।
दिग्गी राजा एक बार फिर से रह रह कर गद्दारी के आरोपों को हवा दे रहे हैं। उनकी रणनीति चुनाव तक इस मुद्दे को जिंदा रखने की है, जिससे लोग याद रखें कि सिंधिया के दल बदल के चलते उनकी चुनी हुई सरकार 15 महीने में ही गिर गई थी। इसलिए दिग्विजय और कांग्रेस के दूसरे नेता रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा कर यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि गद्दारी सिंधिया खानदान के इतिहास के साथ हमेशा जुड़ा रहा है।
आरोप-प्रत्यारोप की इस राजनीति की जड़े दरअसल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक फैली हुई है। बीजेपी की रणनीतिक दिग्विजय सिंह को उनके घर में घेरने की है। पार्टी का अनुमान है कि इससे पूरे प्रदेश में कांग्रेस की संभावनाओं को कमजोर किया जा सकता है। इसलिए वह सिंधिया के जरिए दिग्विजय सिंह के समर्थकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
गद्दारी का आरोप सिंधिया पर पहले बीजेपी के लोग लगाते थे और अब दिग्विजय सिंह और पूरी कांग्रेस लगा रही है। सिंधिया की यात्रा के बाद रानी लक्ष्मीबाई के नाम की चर्चा का कारण भी दिग्गी राजा के एक बयान है, जो वह कई बार दे चुके हैं। करीब 2 साल पहले सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। उनके साथ करीब दो दर्जन कांग्रेस विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी जिसके चलते मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी।
उस वक्त दिग्विजय सिंह ने सिंधिया पर कांग्रेस से गद्दारी का आरोप लगाया था। साथ ही उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के साथ सिंधिया खानदान के कथित धोखे की भी याद दिलाई थी। इसके बाद से दिग्विजय सिंह कई बार यह आरोप दोहरा चुके हैं। अब उनके समर्थकों ने यह बीड़ा उठा लिया है।