प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि वह अजय मिश्रा को अपने मंत्रिपरिषद से कब बर्खास्त करेंगे : कांग्रेस

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सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की जमानत को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि आशीष मिश्रा हफ्ते भर के अंदर सरेंडर करें। आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं और लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में उन्हें बीते साल 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

कांग्रेस ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के बाद सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि वह अजय मिश्रा को अपने मंत्रिपरिषद से कब बर्खास्त करेंगे।

पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ”लखीमपुर किसान नरसंहार के पीड़ित परिवार संघर्षों से भरी न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। सत्ता के संरक्षण में उन पर क्रूरतम दर्जे का अन्याय व अत्याचार हुआ। अन्नदाताओं के इन पीड़ित परिवारों की न्याय की लड़ाई में अंत तक खड़े रहना हम सबकी जिम्मेदारी है, चाहे संघर्ष कितना भी लंबा हो।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, आख़िरकार उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर में किसानों को रौंदने वाले मंत्री पुत्र की जमानत रद्द कर दी। अब मोदी जी अपने मंत्रिमंडल से अजय मिश्रा टेनी को कब बर्खास्त करेंगे? किसानों से विश्वासघात और हत्यारे को बचाकर ताक़त देना, भाजपा कब बंद करेगी? मोदी सरकार किसानों पर कब तक ज़ुल्म ढाती रहेगी?

पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थे। यह हिंसा तब हुई थी, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च को आशीष मिश्रा की जमानत को रद्द न करने पर उत्तर प्रदेश सरकार की जमकर खिंचाई की थी। सीजेआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से कहा था, “मामले की निगरानी कर रहे जज की रिपोर्ट से पता चलता है कि उन्होंने जमानत को रद्द करने की सिफारिश की थी और यह भी सिफारिश की थी कि इसके लिए आवेदन किया जाना चाहिए तो फिर ऐसा क्यों नहीं किया गया।

पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को इस मामले की निगरानी करने के लिए नियुक्त किया था।

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