इन दिनों उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर चल रहा है. इस तीन दिवसीय शिविर में कुछ बड़े फैसले होने की संभावना नजर आ रही है. कांग्रेस ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के फॉर्मूले की तरफ कदम बढ़ाते हुए संगठन में सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दे सकती है।
कांग्रेस के ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ के माध्यम से पार्टी ने महिला आरक्षण के संदर्भ में ‘कोटा के भीतर कोटा’ के मामले पर अपने रुख में बदलाव करने के संकेत दिए हैं. शिविर में कहा गया कि कांग्रेस अब संसद एवं विधान सभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के साथ ही इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों की महिलाओं को अलग आरक्षण देने के पक्ष में है।
पार्टी जातिगत जनगणना के पक्ष में भी खुलकर रुख अपना सकती है. चिंतन शिविर के लिए बनी कांग्रेस की सामाजिक न्याय संबंधी समन्वय समिति की बैठक में शनिवार को इन बिंदुओं पर गहन चर्चा की गई।
इस समिति के सदस्य राजू ने संवाददाताओं से कहा, ‘इसको लेकर चर्चा की गई कि क्या संगठनात्मक सुधार करने चाहिए जिससे पार्टी कमजोर तबकों को संदेश दे सके. हम प्रयास करेंगे कि ये समुदाय महसूस करें कि कांग्रेस उनके सशक्तीकरण को लेकर प्रतिबद्ध है.’ उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव भी आया है कि कांग्रेस अध्यक्ष के अधीन एक सामाजिक न्याय सलाहकार समिति बनाई जाए जो सुझाव देगी कि ऐसे क्या कदम उठाए जाने चाहिए जिससे कि इन तबकों का विश्वास जीता जा सके।
राजू ने कहा, ‘कांग्रेस का संविधान एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत आरक्षण देता है. समूह ने फैसला किया है कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों को ब्लॉक कमेटी से लेकर कांग्रेस कार्य समिति तक सभी समितियों में 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया जाए. कुछ लोगों की यह भी राय है कि इन समुदायों के लिए प्रतिनिधित्व को 50 प्रतिशत से अधिक किया जाए, हालांकि फिलहाल यही तय हुआ है कि इसे 50 प्रतिशत किया जाए.’
उनके अनुसार, एसएसी, एसटी के भीतर कई उपजातियां हैं और ऐसे में पार्टी को इन उपजातियों को विशेष तवज्जो देने की जरूरत है जिनको अब तक उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है. राजू ने कहा, ‘हम यह सिफारिश करने जा रहे हैं कि ब्लॉक कमेटी, जिला कमेटी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और कांग्रेस कार्य समिति की साल में कम से कम एक बैठक एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई जाए.’ उनके अनुसार, समूह ने सिफारिश की है कि पार्टी को जाति आधारित जनगणना के पक्ष में रुख अपनाना चाहिए.
राजू ने कहा कि एससी-एसटी ‘सब-प्लान’ को लेकर केंद्रीय कानून और राज्यों में कानून बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘सरकारी क्षेत्र में नौकरियां कम हो रही हैं. ऐसे में हमारा समूह यह सिफारिश कर रहा है कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में भी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभाओं में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की भी पैरवी की गई है.
महिला आरक्षण मामले पर पहले के रुख में बदलाव पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने कहा, ‘इस पर (कोटा के भीतर कोटा) ऐतराज कभी नहीं था. उस समय गठबंधन की सरकार थी. सबको एक साथ लेना मुश्किल था. उस समय हम इसे पारित नहीं करा पाए. समय के साथ बदलना चाहिए. आज यह महसूस होता है कि इसे इसी प्रकार से आगे बढ़ना चाहिए.’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपना रही है, पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से सामाजिक न्याय होता है. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय सलाहकार समिति बनेगी और उसके साथ एक विभाग संबद्ध होगा जो देश में डेटा एकत्र करेगा तथा फिर यह तय किया जाएगा कि सोशल इंजीनियरिंग कैसे की जानी है।