इमरान से लेकर रंजीत रंजन तक किसके पसंद से राज्यसभा का टिकट लेने में रहे कामयाब ?

जब से कांग्रेस ने राज्यसभा जाने वालों की लिस्ट जारी की है, कई नेताओं का दर्द शब्दों में छलक आया है। पार्टी की सीटें घटती जा रही हैं लेकिन महत्वाकांक्षा चीज ही ऐसी है कि जनसेवा और विचारधारा वाली बातें हवा हो जाती हैं। कोई इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी का दुलारा बन बैठा तो कई ऐसे हैं जो लिख रहे हैं, ‘शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई।’

खैर, इससे आगे की बात यह है कि कांग्रेस के भीतर इमरान प्रतापगढ़ी को लेकर आम सहमति नहीं है। हो सकता है पार्टी ने मुस्लिम चेहरे के तौर पर नाम आगे बढ़ाया हो, लेकिन कई सीनियर लीडर भी राह देख रहे थे। नगमा ने तो सोनिया गांधी का हवाला देते हुए लिख दिया कि उन्हें 2003-04 में ही राज्यसभा भेजने का वादा किया था। पवन खेड़ा के दर्द को बांटते हुए एक ट्वीट में नगमा ने लिखा, ‘हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे।’ युवा कवि और AICC अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन इमरान प्रतापगढ़ी को पार्टी ने महाराष्ट्र से राज्यसभा का कैंडिडेट बनाया है जबकि दिग्गज राजीव शुक्ला ब्रेक के बाद छत्तीसगढ़ से उच्च सदन भेजे जाएंगे। अंदर से खबर यह निकलकर आ रही है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बैठकर उन लोगों को लिस्ट में जगह दिलाई है, जो ‘तपस्या’ कर रहे थे।

जी हां, कुछ नेता भले ही अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हों पर कांग्रेस की लिस्ट से साफ है कि उसने लीडरशिप के वफादारों को मौका दिया है, खासकर वो जो राहुल गांधी या प्रियंका गांधी के करीबी माने जाते हैं। वैसे भी, पिछले कई चुनावों से ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी के सारे बड़े फैसलों में राहुल-प्रियंका की चॉइस को तवज्जो दी जाती रही है। तवज्जो और वफादारी इसी बात से समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने वाले हैं लेकिन दोनों ही राज्यों में पार्टी हाईकमान ने स्थानीय नेताओं की परवाह किए बगैर अपने लॉयलिस्टों को रिवॉर्ड देना ज्यादा जरूरी समझा।

इमरान प्रतापगढ़ी के सिलेक्शन से जानकार भी हैरान हैं। लेकिन जिस तरह से वह केंद्र की नीतियों के खिलाफ मुखर रहे हैं, उन्हें उसका इनाम मिला है। प्रतापगढ़ जिले से ही दो नेता राज्यसभा पहुंचेंगे- प्रमोद तिवारी और इमरान प्रतापगढ़ी। शायर से नेता बने इमरान मुरादाबाद से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन हार गए थे। उन्हें प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। उनके सिलेक्शन के पीछे मुस्लिम समीकरण को सेट करना भी एक बड़ी वजह है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को हरियाणा से उतारा गया है, जहां पार्टी एक कैंडिडेट ही उतार सकती है। सीनियर लीडर मुकुल वासनिक और AICC प्रवक्ता और कर्नाटक इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला और सीनियर यूपी लीडर प्रमोद तिवारी को राजस्थान से राज्यसभा भेजा जाएगा। ये तीनों नेता राजस्थान के लिए बाहरी हैं। पड़ोसी हरियाणा से आने वाले सुरजेवाला जाट समुदाय से आते हैं, जिसकी राजस्थान में थोड़ी मौजूदगी है।

पार्टी ने बिहार की पूर्व लोकसभा सांसद रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से उतारा है। शुक्ला के साथ ही रंजन के नॉमिनेशन का मतलब है कि छत्तीसगढ़ के लिए दोनों बाहरी हैं। कांग्रेस पर टिकट चाहने वालों की लंबी सूची को समायोजित करने का दबाव था। 

ऐसे में पार्टी ने दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उपयोग केंद्रीय नेतृत्व के खास लोगों को उच्च सदन भेजने के लिए किया है। एमपी से विवेक तन्खा और जयराम रमेश को कर्नाटक से फिर टिकट दिया गया है, वहीं पी. चिदंबरम को महाराष्ट्र से शिफ्ट कर तमिलनाडु से राज्यसभा भेजने की तैयारी है।

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