प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले की फाइल फिर से खोल दी है। साथ ही इस मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद राहुल गांधी को समन भेजा गया।
दोनों नेताओं से 8 जून को पूछताछ हो सकती है। इस मामले की जांच को 2015 में ही बंद कर दिया गया था, ऐसे में 7 साल बाद दोबारा जांच होने से कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। साथ ही इसे विपक्ष की आवाज दबाने वाला कदम बताया।
इस मामले को लेकर राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट नर्त कहा “केंद्र सरकार द्वेष और नफरत की राजनीति कर लोकतंत्र पर प्रहार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी एवं श्री राहुल गांधीजी को ED का समन भेजकर भाजपा विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। परंतु इतिहास गवाह है कांग्रेस ऐसी दमनकारी सोच के समक्ष न झुकी है और न कभी झुकेगी।”
मामले में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 1942 में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया गया, उस समय अंग्रेजों ने इसे दबाने की कोशिश की, आज मोदी सरकार भी यही कर रही है और इसके लिए ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा। ईडी ने हमारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस दिया है। हम लोग इससे झुकने वाले नहीं हैं, बल्कि हम सीना ठोककर लड़ेंगे। सुरजेवाला ने आगे कहा कि इस पूरी साजिश के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है। ईडी उनकी पालतू एजेंसी बन गई है। सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस देना कायराना हरकत है।
नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 1938 में हुई थी। ये कई बार शुरू हुआ और फिर बंद हो गया। 2008 में ये अखबार फिर से पूरी तरह बंद कर दिया गया था और अखबार का मालिकाना हक एसोसिएट जर्नल्स को दे दिया गया। इस कंपनी ने कांग्रेस से बिना ब्याज के 90 करोड़ रुपये कर्जा लिया, लेकिन अखबार फिर भी शुरु नहीं हुआ। वहीं 2012 में इसका मालिकाना हक यंक इंडिया को ट्रांसफर कर दिया गया। इस कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी सोनिया और राहुल की थी। आरोप है कि यंग इंडिया ने हेराल्ड की संपत्ति को 50 लाख में हासिल किया, जबकि उसकी कीमत 1600 करोड़ के आसपास थी। इसके बाद ये मामला कोर्ट भी गया था।