रीवा नगर निगम में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी अजय मिश्रा को जीत मिली है। उन्होंने 8953 वोट से चुनाव जीता है। कांग्रेस के अजय मिश्रा बाबा शुरू से ही निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रबोध व्यास से आगे चल रहे थे।आखिर में कांग्रेस ने यहां पर जीत हासिल की। इससे पहले यहां भाजपा का मेयर था।
बता दें कि रीवा में महापौर के पर 24 वर्षों से भाजपा का कब्जा था। इस बार कांग्रेस ने जमीनी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के सामने अच्छी चुनौती पेश की थी। इस वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर हर छोटे-बड़े नेता को रीवा में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। मुख्यमंत्री तो 4 दिन में 2 बार रीवा पहुंचे और बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोट मांगे थे।
रीवा से कांग्रेस ने अजय मिश्रा बाबा को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया। मिश्रा लगातार 3 बार पार्षद रहे है। 2014 में तो अजय मिश्रा ने नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई थी। अजय मिश्रा का मुकाबला बीजेपी के प्रबोध व्यास से था। जिनके पास संगठन में लंबे समय तक काम करने का अनुभव था। बीजेपी में छोटे से लेकर बड़े तक कई जिम्मेदारी निभा चुके प्रबोध बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, वे नगर अध्यक्ष से लेकर महामंत्री सहित संगठन के कई पदों पर रह चुके हैं। बीजेपी के प्रबोध व्यास के सामने अजय मिश्रा के साथ ही आप पार्टी के दीपक सिंह, बीएसपी पार्टी के जय प्रकाश, समाजवादी पार्टी के चिकित्सामणि गुप्ता से भी चुनौती मिली। कुल मिलाकर रीवा में महापौर के लिए 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। रीवा में 13 जुलाई को वोट पड़े थे और रीवा नगर निगम चुनाव में कुल 62.07 फीसदी लोगों ने वोट डाला था। रीवा के महापौर पद के लिए 13 प्रत्याशी हैं।
रीवा में वर्षों 1995 में पहली बार नगर निगम के चुनाव हुए। तब पार्षदों ने कांग्रेस के अमीरुल्ला खान को पहला मेयर चुना। वे वर्ष 1997 तक इस कुर्सी पर रहे। इसके बाद कांग्रेस की सावित्री पांडेय कुछ समय के लिए और फिर कमलजीत सिंह डंग शासन से मनोनीत महापौर रहे थे। वर्ष1998 में भाजपा के राजेंद्र ताम्रकार को पहली बार जनता ने सीधे मेयर चुना। उनके बाद वर्ष 1999 में आशा सिंह, वर्ष 2005 में वीरेंद्र गुप्ता, वर्ष 2010 में शिवेंद्र सिंह पटेल और वर्ष 2015 में ममता गुप्ता ने मेयर का चुनाव जीता था। यानी 1998 से जनता मेयर चुन रही है और हर बार बीजेपी का ही मेयर बना है।