गोवा कांग्रेस ने लोबो और कामत को विधायक पद से अयोग्य करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को दी अर्जी !

गोवा में चल रहे सियासी संकट के बीच कांग्रेस पार्टी ने सदन में विपक्ष के नेता को सस्पेंड कर दिया है। सोमवार की शाम को कांग्रेस के 11 में से 10 विधायकों ने बैठक में हिस्सा लिया और इस बैठक के बाद कांग्रेस ने कहा कि भाजपा ने गोवा कांग्रेस को तोड़ने की विफल कोशिश की है।

पार्टी ने आरोप लगाया है कि दो विधायक दिगंबर कामत और माइकल लोबो इस योजना में शामिल थे। वहीं नेता विपक्ष माइकल लोबो से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया, बाहरी लोगों ने पार्टी के भीतर सेंधमारी की कोशिश की।

सोमवार की शाम हुई कांग्रेस की बैठक में 10 विधायक मौजूद थे और सिर्फ दिगंबर कामत लापता रहे। कामत प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था। लेकिन चुनाव हारने के बाद जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें नेता विपक्ष नहीं बनाया तो वह इस बात से नाराज थे। वहीं जिस तरह से उन्होंने पार्टी के साथ बगावत की उसके बाद कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से कामत और लोबो को दल बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के लिए कहा है। लोबो और पांच अन्य विधायक कांग्रेस के संपर्क में नहीं थे, जिसके बाद पार्टी अलर्ट हो गई थी। खुद सोनिया गांधी ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया और केंद्रीय नेताओं को गोवा भेजा।

इससे पहले लोबो ने कहा था कि पार्टी को कोई गलतफहमी हुई है वह शीर्ष नेतृत्व को समझाएंगे। लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि अधिक बातचीत लोगों को भ्रमित करती है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि हमारे पास भाजपा के चार्टर्ड प्लेन की लिस्ट है जिसमे कांग्रेस के 6 विधायकों को गोवा से बाहर ले जाने की तैयारी थी। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता इन विधायकों के साथ व्यक्तिगत तौर पर लगातार संपर्क में थे। इन विधायकों को 15-20 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी।

सूत्रों का कहना है कि अंत समय में भाजपा को अपनी योजना रद्द करने पड़ी क्योंकि संख्या बल पर्याप्त नहीं था जिससे दल बदल कानून को टाला जा सके। इसके लिए कांग्रेस के दो तिहाई विधायकों का साथ आना जरूरी था। कम से कम 8 विधायकों के अलग होने पर ही इनपर दल बदल का कानून लागू नहीं होता। बता दें कि गोवा में 2019 में कांग्रेस के 17 में से 15 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद पार्टी ने विधायकों को चर्च, मंदिर, मस्जिद में दल बदल के खिलाफ शपथ दिलाई और राहुल गांधी के सामने यह संकल्प दिलाया कि वह पार्टी के साथ बने रहेंगे।

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