छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की “गोधन योजना” दिखा रहा है अपना कमाल कोई गोबर बेचकर खरीदा लैपटॉप तो कोई कर रहा व्यवसाय !

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के तहत अब लोगों को जिंदगी में बदलाव आ रहा है। सरकार गोधन न्याय योजना के माध्यम से पशुपालकों से 2 रुपए किलो में गोबर खरीद रही है ।

यह योजना पशुपालकों के लिए आर्थिक विकास और उनके परिवार के खुशहाली का बेहतर माध्यम बना है। गौ-पालन से जुड़े किसान, मजदूर, चरवाहे, से लेकर गौठान प्रबंधन समिति और गोबर से वर्मी कपोस्ट तैयार करने वाली सैकड़ों महिला स्वसहायता समूह प्रत्यक्ष रूप से लाभ कमा रही है।

कबीरधाम जिले में गोधन न्याय योजना के तहत 297 गौठानो में गोबर की खरीदी हो रही है। इस योजना से 5 हजार 542 गौपालक हितग्राही पंजीकृत है। इनसे से चार ऐसे हितग्राही की कहानी है, जिसके लिए गोबर सचमूच गोधन बन कर उनके सपने साकार कर रहे है। जिले में अब गौमूत्र की खरीदी भी शुरु कर दी गई है। इसके लिए किसानों से गौमूत्र मंगाया जा रहा है। अब गौठानो आजीविका केंद्र बन रहें हैं।

ग्राम पंचायत बोडतराखुर्द जनपद पंचायत पंडरिया निवासी सहोदी कुर्रे बताती है कि योजना प्रारंभ से अभी तक ग्राम गौठान प्रबंधन समिति के माध्यम से 10 हजार 988 किलो गोबर बेच चुकी है। जिसके एवज में 21 हजार 966 रुपए का लाभ शासन से मेरे बैंक के बचत खाते में मिला है। इस पैसे से हितग्राही सहोदी ने अपने पुत्र के लिए लैपटॉप लिया है, इनका बेटा एमएससी एग्रीकल्चर में प्रथम वर्ष का छात्र है। सहोदी ने बताया कि रोजमर्रा की जरूरतों से इतना पैसा बचाना मुश्किल था की एकमुश्त लैपटॉप खरीदा जा सके लेकिन गोधन न्याय योजना के पैसे से मेरा यह काम भी हो गया अब बेटे की उच्च शिक्षा की जरूरत पूरी हो गई।

ग्राम उदका जनपद पंचायत पंडरिया की मंदाकिनी बताती हैं की उसने योजना की शुरुआत से ही गौठान समिति को गोबर बेचना शुरू किया। अभी तक 14429 किलोग्राम गोबर मैंने बेचा है। मैं गरीब परिवार से हुं लेकिन मैंने अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू कर लिया है। गोबर बेचकर मुझे अपने बैंक के खाते में 28 हजार 858 रुपए मिले और इस पैसों से उन्होने अपने लिए एक भैस और कुछ कृषि यंत्र लिया जो मेरे व्यवसाय के लिए सहयोगी साबित हो रहा है। भैंस से प्रतिदिन 6 लीटर दूध प्राप्त होता है।

ग्राम पंचायत घोठिया के दीपचंद अपने जमीन लेने के सपने को गोधन न्याय योजना से पूरा कर लिया है। दीपचंद बताते हैं कि अभी तक उन्होंने 47281 किलोग्राम गोबर अपने ग्राम गौठन प्रबंधन समिति को बेचा है। दीपचंद को खाते मे कुल राशि 94 हजार 562 रुपए मिला है। इस पैसे का उपयोग ग्राम मडमडा रघुनाथपुर में 1 एकड़ जमीन लेने के लिए उपयोग किया हूं। इस जमीन से मैं भविष्य में खेती किसानी कर या कोई और काम कर आगे बढ़ सकता हुं। बहुत समय से मन में इच्छा थी कि अपने लिए जमीन का टुकड़ा लिया जाए जो अब पूरा हुआ है।

ग्राम पंचायत धमकी ठगिया बाई बताती हैं कि गोधन न्याय योजना से मैंने अपने कर्ज को उतार लिया। धन्यवाद हो भूपेश सरकार का जिसने हम ग्रामीणों को ऐसे काम से जोड़कर जो पहले से ही हम करते आ रहे है उससे लाभ दिलाने की सोची जो पहले कभी नहीं हुआ था। मैंने अभी तक 4200 किलो गोबर बेचा है। जिसके एवज में मेरे बचत खाते में 84 हजार रुपए प्राप्त हुए। मैंने जब अपनी बिटिया की शादी की तो उसके खर्च के लिए मैं कर्ज में डूब गई थी लेकिन गोधन न्याय योजना के सहायता से मैं अब उस कर्ज में बाहर आ गई हूं।

कबीरधाम जिले कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे बताते हैं कि गौधन न्याय योजना राज्य शासन की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं में एक है। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के बाद अब जिले में इसके बेहतर परिणाम भी आने लगे है। गौधन से जुड़े गौ-पालक, किसानों, मवेशी चराने वाले चरवाहे से लेकर गौठान में काम करने वाले महिला स्व सहायता समूहों और गौठान प्रबंधन समितियों को इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ मिलने लगा है और इन सभी के लिए फायदेमंद साबित भी हो रहा है। हरेली त्यौहार से अब जिले के दो गौठानों में गौ-मुत्र की खरीदी शुरू हो चुकी है। राज्य शासन के मंशानुरूप अब जिले के गौठानों को अजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत बोडतराखुर्द जनपद पंचायत पंडरिया निवासी सहोदी कुर्रे बताती है कि योजना प्रारंभ से अभी तक ग्राम गौठान प्रबंधन समिति के माध्यम से 10 हजार 988 किलो गोबर बेच चुकी है। जिसके एवज में 21 हजार 966 रुपए का लाभ शासन से मेरे बैंक के बचत खाते में मिला है। इस पैसे से हितग्राही सहोदी ने अपने पुत्र के लिए लैपटॉप लिया है, इनका बेटा एमएससी एग्रीकल्चर में प्रथम वर्ष का छात्र है। सहोदी ने बताया कि रोजमर्रा की जरूरतों से इतना पैसा बचाना मुश्किल था की एकमुश्त लैपटॉप खरीदा जा सके ग्राम उदका जनपद पंचायत पंडरिया की मंदाकिनी बताती हैं की उसने योजना की शुरुआत से ही गौठान समिति को गोबर बेचना शुरू किया। अभी तक 14429 किलोग्राम गोबर मैंने बेचा है। मैं गरीब परिवार से हुं लेकिन मैंने अपना छोटा सा व्यवसाय शुरू कर लिया है। गोबर बेचकर मुझे अपने बैंक के खाते में 28 हजार 858 रुपए मिले और इस पैसों से उन्होने अपने लिए एक भैस और कुछ कृषि यंत्र लिया जो मेरे व्यवसाय के लिए सहयोगी साबित हो रहा है। भैंस से प्रतिदिन 6 लीटर दूध प्राप्त होता है।

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