कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इशारों ही इशारों में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि तानाशाह की इच्छा ही सरकार की आज्ञा है. यहां तक कि आरबीआई जैसे स्वतंत्र संस्थान, जो पिछले दशकों में भारत के आर्थिक विकास के माध्यम रहे हैं!
इसे भी समय-समय पर सुप्रीम लीडर और उनके ‘मित्रों’ के एजेंडे के सामने झुकने को मजबूर किया गया है.
राहुल गांधी ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का जल्दबाजी में निजीकरण करना ठीक नहीं है. RBI ने उन बैंकों की दक्षता की प्रशंसा भी की थी. लेकिन इससे तानाशाह बहुत ज्यादा परेशान हो गए. सरकार अपने सर्वोच्च नेता के मन में वापस शांति स्थापित करने के लिए हरकत में आई और अगले ही दिन आरबीआई की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया कि वह बैंकों के निजीकरण के खिलाफ नहीं है.
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने भारत के लिए संकट के दौरान ढाल के रूप में काम किया है. वे विकास के अग्रदूत और वित्तीय समावेशन के साधन रहे हैं. उनके लापरवाह निजीकरण के विनाशकारी परिणाम होंगे. इससे भारत की संस्थाओं की स्वतंत्रता भी घटेगी.
इससे पहले राहुल गांधी ने 25 जुलाई को महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने LPG की सब्सिडी बंद करके 11,654 करोड़ बचाए हैं. जबकि केंद्र सरकार ने साल 2021-22 में सिर्फ 242 करोड़ की सब्सिडी दी है. कांग्रेस नेता ने कहा था कि ये बीजेपी की सब्सिडी बंद करो और जनता को निचोड़ो नीति है.
राहुल गांधी ने कहा था कि जब भाजपा सरकार ने लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की, तो लाखों लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी, लेकिन तब उन्हें ये मालूम नहीं था कि आने वाले दिनों में सरकार सिलेंडर के दामों में भारी इजाफा करेगी. राहुल गांधी ने कहा कि ये भाजपा सरकार की चाल थी. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सिलेंडर के दाम बढ़ते गए, ग्राहकों ने सब्सिडी वापस मांगनी शुरू कर दी.
कांग्रेस नेता ने कहा था कि साल 2021-22 में 3.59 करोड़ लोगों ने महंगाई के चलते सिलेंडर ही नहीं भरवाया. अब गैस के नए कनेक्शन के लिए 2200 रुपए, रेग्युलेटर के लिए 250 रुपए, पासबुक के लिए 25 और पाइप के लिए 150 रुपये अलग से देने होंगे. ऊपर से सिलेंडर के आसमान छूते रेट भी देने होंगे.