2024 Lok Sabha Election: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान को नया मुख्यमंत्री मिल चुका है. तीनों ही चेहरे एकदम नए हैं और बीजेपी ने सारे सूत्रों को दरकिनार करते हुए एकदम नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाया है. बीजेपी ने जातिगत समीकरण को देखते हुए तीनों के नाम आगे किए हैं.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Election) की तैयारीयों के लिहाज से बीजेपी ने यह मास्टर स्ट्रोक खेला है, जिसमें तमाम जातिय समीकरण को साधते हुए एक तरह से विपक्षी गठबंधन को अभी से धराशाई करने की कोशिश बीजेपी की तरफ से की गई है.
सवाल यह भी उठने लगा है कांग्रेस को लेकर कि, अगर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनती तो क्या भूपेश बघेल, कमलनाथ और अशोक गहलोत को दरकिनार करते हुए दूसरे चेहरों को कांग्रेस नेतृत्व मुख्यमंत्री बन पाता? और अगर बना भी देता तो क्या कांग्रेस में बगावत नहीं होती. शांति से कांग्रेस के सीनियर नेता नेतृत्व की बातों को तवज्जो देते और शांत रहते, मर्यादा में रहते, अनुशासन में रहते?
तीनों ही राज्यों में कांग्रेस हार के कारणो पर समीक्षा बैठक करने के बाद कोई बड़ा निर्णय अभी तक नहीं कर पाई है. क्या पुराने चेहरों को पीछे करते हुए नए चेहरों को आगे लाने का प्रयास अभी भी कांग्रेस कर पाएगी? कांग्रेस का नेतृत्व इतनी हिम्मत दिखा पाएगा?
इसके अलावा अभी भी कांग्रेस के सामने सवाल यह है कि अगर अगले साल हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब होती है तो क्या वह अपने सीनियर लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नजरअंदाज करके नया चेहरा ला पाएगी?
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 2014 के बाद से ही बीजेपी ने कई राज्यों में बड़े स्तर पर बदलाव किया है और बीजेपी में बगावत देखने को नहीं मिली है. बीजेपी के सीनियर नेता भी अनुशासन में रहते हैं, अपने नेतृत्व के खिलाफ बयान बाजी नहीं करते हैं. लेकिन ठीक इसके उलट कांग्रेस का सीनियर नेता हो या फिर प्रदेश स्तर का नेता हो, अगर उसके मन मुताबिक फैसला नहीं होते हैं तो मीडिया में बयान बाजी होती है और नेतृत्व के खिलाफ बगावत देखने को मिलती है.
इस वक्त देखने को यहीं मिल रहा है कि बीजेपी नेतृत्व का अपने नेताओं पर पूरा कंट्रोल है. बीजेपी का कोई भी नेता मोदी और शाह के खिलाफ, उनके फैसलों के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. वहीं कांग्रेस का नेतृत्व काफी लाचार नजर आता है अपने नेताओं के सामने.
2024 Lok Sabha Election
क्या ऐसे 2024 का लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Election BJP vs Congress) कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष जीत पाएगा? एक सच्चाई यह भी है कि बिना कांग्रेस के विपक्ष बीजेपी को हरा भी नहीं सकता है. इसलिए जरूरी है कि कांग्रेस अपने अंदर बड़े बदलाव करें. उन कार्यकर्ताओं को तवज्जो देना शुरू करें जिनके दम पर कांग्रेस है, ना कि उन नेताओं के दम पर जिनकी कोई विचारधारा नहीं है, जो खुद पद के लिए पार्टी से जुड़े हुए हैं.
कांग्रेस का समर्थन करने वाली जनता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि तीनों राज्यों में हार के बाद पार्टी कुछ बड़ा फैसला लेगी, हार के लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एक्शन लेगी. लेकिन समीक्षा बैठक तक मामला सीमित रहा. इससे समर्थक और कार्यकर्ता काफी निराश हैं. इन्हें भी ऐसा लग रहा कि पार्टी जीतने के लिए कुछ कर नहीं रही है.
कुछ लोग ईवीएम का भी मामला है उठा रहे हैं. अगर मामला वाकई में ईवीएम धांधली का है तो फिर इस पर भी पार्टी को सड़कों पर उतरना होगा. इसके खिलाफ भी ठोस आंदोलन करना होगा. पार्टी के बड़े नेताओं को बोलना होगा. अगर ऐसा नहीं कर रहे हैं तो फिर ईवीएम के बहानों तले अपनी नाकामी को छुपाया नहीं जा सकता, अपने नेताओं के नकारेपन को दूर किए बिना कांग्रेस केंद्र की सत्ता में नहीं आ सकती.
अगर 2024 में कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देना चाहती है या फिर सत्ता से बेदखल करना चाहती है तो उसे कठोर फैसले लेने होंगे, अपने अंदर बड़े स्तर पर बदलाव करना होगा. कार्यकर्ताओं को तवज्जो देनी होगी. उन नेताओं के हाथों में राज्यों की कमान देनी होगी जो जनता के बीच जनाधार रखते हैं सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने का माद्दा रखते हैं. जनता के बीच जाकर परिवर्तन लाना होगा, ना की बयान बाजी से क्रांति की उम्मीद करनी होगी.