
देश आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को याद कर रहा है। 27 साल पहले आज ही के दिन उनकी हत्या कर दी गई थी।
अपने पिता की 27वीं पुण्यतिथि पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक भावुक संदेश भी ट्विटर पर लिखा। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि जो लोग नफरत पालते हैं, जिंदगी भर नफरत की कैद में रहते हैं। आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं उन्हें धन्यवाद कहना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे सभी लोगों से प्यार और सम्मान करना सिखाया। यह एक पिता की तरफ से अपने बेटे को सबसे मूल्यवान उपहार है। राजीव गांधी, हम सब आपसे प्यार करते हैं और आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगे।’
स्व. राजीव गांधी की हत्या को आज 27 साल पूरे हो गए। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती हमला ने बम विस्फोट कर उनकी जान ले ली थी। वे वहां जब वो एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। 21 मई 1991 को रात तकरीबन 10 बजकर 15 मिनट पर राजीव गांधी रैली स्थल पर पहुंचे। वे कार की अगली सीट पर बैठे थे और उन्होंने उतरते ही सबका अभिवादन किया। मंच की ओर बढ़ते हुए एक महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने उन्हें माला पहनानी चाही, तो सब इंस्पेक्टर अनुसुइया ने उसे रोक दिया। हालांकि राजीव गांधी के कहने पर उसे माला पहनाने के लिए आने दिया गया। धनु ने उन्हें माला पहनाई और जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए नीचे झुकी, उसने अपने कमर से बंधे बम का बटन दबा दिया। एक जोरदार धमाका हुआ और फिर सबकुछ सुन्न हो गया। इस धमाके ने राजीव गांधी की जान ले ली।
वो लौट कर घर ना आए वे घर से निकले थे मुस्कुराते हुए और शाम होते होते महज कुछ चीथडे घर आए, कोई निजी दुश्मनी नहीं थी, था तो बस मुल्क की नीतियों पर विवाद, यह तथ्य सामने आ चुका है कि तमिल समस्या को ले कर वेलुपल्ली प्रभाकरण जब दिल्ली आया तो राजीव गांधी ने उससे सशस्त्र संघर्ष, तमिल शरणार्थियों के भारत में प्रवेश जैेस मसले पर करार चाहा, जिसे उसने इंकार कर दिया था, राजीव गांधी को यह बात पसंद आई नहीं और उन्होंने उसे दिल्ली के पांच सितारा होटल में कमरे में बंदी बना लिया था, उसे तभी छोडा गया जब वह भारत सरकार की शर्ते मााने को राजी हुआ, हालांकि वह एक धोखा था बस कैद से निकलने का, भारत में भी कई शक्तियां काम कर रही थी, और फिर 21 मई को दुनिया के सबसे दर्दनाक हमले में एक ऐसा व्यक्ति मारा गया जिसके द्वार दी गई देश की दिशा से आज भारत की ख्याति दुनियाभर में हैं, भले ही किसी को भारतीय होने पर शर्म आती हो, लेकिन कंप्यूटर, जल मशिन जैसी कई ऐसी योजनाएं हैं जिसने आज भारत का झंडा दुनिया में गाडा है।
सियासती जुमलों से अलग राजीव गांधी का कार्यकाल देश के विकास का बडा मोड महसूस हुआ, एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसके पास सपना था, दूरगामी योजना थीं, जुमले नहीं थे, अब आप चर्चा कर सकते हैं उनकी मंडली की, गलत फैसलों की , लेकिन इस बात को नहीं भूलना कि जो मुल्क अपने शहीदों को सम्मान नहीं देता, उसके भविष्य में कई दिक्कतें आती है। राजीव गांधी देश का ऐसा शख्स जिसने भारत को दुनिया से जोड़ा। इस मॉडर्न सोच ने भारतवर्ष को एक नई ऊर्जा और एक नई शक्ति दी। जो कभी राजनीति में आना नहीं चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व वे इंडियन एयरलाइन्स में एक पायलट थे। भारतीय राजनीति की दुर्गा कही जाने वाली इन्दिरा गाँधी की असामयिक मृत्यु के बाद पूरे देश की नज़रें राजीव पर थी मानो एक आखिरी उम्मीद हो कि ‘राजीव तो है’ देश को सशक्त प्रधानमंत्री की आवश्यकता थी। बेमन राजीव गांधी को लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए राजनीति में आना पड़ा। राजीव गांधी बहुत कुछ अर्थों में ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे। हालांकि उनकी इस छवि में कालान्तर में कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए थे। अपने श्रेष्ठ प्रशासन व निर्णय शक्ति की बदौलत इस जनप्रिय नेता ने काफी ख्याति प्राप्त की।
उन्होंने एक बार रैली में भाषण देते हुए कहा था कि दिल्ली से 1 रुपये चलता है और लखनऊ तक पहुंचते-पहुंचते 50 पैसे हो जाता है। प्रधानमंत्री होते हुए भ्रष्टाचार पर ये उनकी बेबाक राय थी जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। 21 मई 1991 को मद्रास से 50 कि०मी० दूर श्रीपेरूंबुदुर में एक चुनावी सभा के दौरान सुरक्षा घेरे को तोड़ने के बाद फूलों की माला ग्रहण करते समय श्रीलंकाई आतंकवादी संगठन लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में उनकी नृशंस हत्या कर दी गयी। अपने चहेते युवा नेता की मृत्यु पर सारा देश जैसे स्तब्ध रह गया।
congress ki trha sarkar koi Nhi chla sakta he des ko bchna he to congress ko lana padega