
महाराष्ट्र में करीब 1 माह से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल की करीब-करीब समाप्ति कल अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की इस्तीफे की बाद हो गई और यह स्पष्ट हो गया कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार प्रदेश में बनने जा रही है। जिसका दावा तीनों दलों ने करते हुए कहा कि प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे होंगे उन्होंने इसका का ज्ञापन राज्यपाल को सौंप दिया।
इससे पहले कल सुबह सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 27 नवम्बर शाम 5:00 बजे तक हर हाल में फ्लोर टेस्ट हो जाना चाहिए मगर संख्या बल न होने के कारण अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
अजित पवार के इस्तीफा देने के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने से पहले फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा, अब हमारे पास बहुमत नहीं रह गया।
हम विधायकों की तोड़फोड़ नहीं करेंगे और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही फडणवीस की 78 घंटे पुरानी सरकार गिर गई। इस्तीफे के तत्काल बाद शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने के लिए सक्रिय हो गया।
देर शाम बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को गठबंधन का नेता चुना गया। देर शाम बैठक में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को गठबंधन का नेता चुना गया। तीनों दलों के नेताओं राजभवन में राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
बैठक में तय हुआ कि ठाकरे 28 नवंबर को शाम 6.40 बजे शिवाजी पार्क में शपथ लेंगे। राज्यपाल ने इस पर सहमति देते हुए ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए तीन दिसंबर तक का समय दिया।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण में देरी होने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका देखते हुए बुधवार शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। आदेश आते ही दिल्ली से मुंबई तक हलचल तेज हो गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पीएम नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र की स्थिति की जानकारी दी। वहीं, मुंबई में एनसीपी, कांग्रेस-शिवसेना ने बैठक कर रणनीति बनाई। बैठक के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, उद्धव ठाकरे पांच साल तक महाराष्ट्र के सीएम होंगे।
गौरतलब है कि 24 अक्टूबर को प्रदेश विधानसभा चुनाव का नतीजा आया था जिसमें 288 विधानसभा वाली महाराष्ट्र विधानसभा में किसी एक दल को बहुमत नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी को 105 सीट मिली जबकि शिवसेना को 56 एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीट मिला एवं अन्य निर्दलीय एवं छोटी-छोटी पार्टियों को बाकी सीट मिली जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी किसी दल से गठबंधन करने में नाकामयाब रही जबकि कांग्रेस-एनसीपी एवं शिवसेना ने मिलकर एक नया गठबंधन बना लिया और सरकार बनाने की दावेदारी कर दी।