सोनिया गांधी द्वारा अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ही अलग-अलग राज्यो के नेतृव में बदलाव किया जा रहा है इसी क्रम में झारखंड और महाराष्ट्र के बाद चुनावी राज्य दिल्ली और हरियाणा के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस जल्द-से जल्द संगठनात्मक बदलाव करना चाहती है।
चुनावी राज्य हरियाणा और दिल्ली के साथ-साथ मध्यप्रदेश में नए अध्यक्ष को लेकर मची घमासान के बाद कांग्रेस की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जबरदस्त सक्रिय हो गई हैं। शुक्रवार को उन्होंने तीनों राज्यों के नेताओं से बातचीत की। बताया जा रहा है कि सोनिया तीनों राज्यों में जल्द फैसला कर देना चाहती हैं।
हरियाणा में पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के अड़े रहने से शुक्रवार को भी कोई फैसला नहीं हो सका। मामला उलझता देख अब खुद सोनिया राज्य के नेताओं से मिलकर उनकी राय जान रही हैं। राज्य कांग्रेस दल की नेता किरण चौधरी भी दस जनपथ पहुंची और उन्होंने पसंद-नापसंद बताई। मिली जानकारी के अनुसार हुड्डा को केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाकर मनाया जा सकता है। हुड्डा चाहते हैं कि टिकट बंटवारे में उनकी अहमियत रहे।
प्रदेशाध्यक्ष के लिए कुमारी शैलजा के नाम पर लगभग सभी तैयार दिख रहे हैं जबकि दीपेंद्र हुड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया जा सकता है। दो अन्य कार्यकारी अध्यक्षों में कैप्टन अजय यादव और कुलदीप शर्मा का नाम भी प्रमुखता से चल रहा है।
उधर, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य की नाराजगी की खबर के बाद से पार्टी नेतृत्व सक्रिय है और जल्द फैसला करने के मूड में है। सोनिया ने सीएम कमलनाथ को बुलाकर बातचीत की है जबकि दिग्विजय सिंह को मिलने का समय अभी नहीं मिला है। मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर तीन गुटों में बंटी दिख रही है। अचानक से मीनाक्षी नटराजन भी प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल दिख रही हैं। सोनिया से मिलकर आए सीएम कमलनाथ का कहना है कि मैंने तो पहले ही अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर दी है। राज्य को जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। उन्होंने सिंधिया के नाराज होने की अटकलों को गलत बताया।
दिल्ली को लेकर भी पार्टी कोई फैसला नहीं कर पा रही है। नेतृत्व वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है ताकि उसके नेतृत्व में तीन कार्यकारी अध्यक्ष काम करें। वहीं, पार्टी के भीतर भाजपा को टक्कर देने के लिए युवा अध्यक्ष की मांग उठ रही है। इसके चलते सोनिया ने डॉ अशोक कुमार वालिया और पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली से बात की। पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ योगानंद शास्त्री के नाम पर भी रायशुमारी की जा रही है।
मतलब साफ है कि सोनिया सभी नेताओं को खुश करते हुए तीनो राज्य में बदलाव करना चाहती हैं ताकि आने वाले राज्यो के चुनाव में किसी तरह के गुटबाजी और आपसी मनमुटाव के कारण पार्टी को नुकसान ना हो। हरियाणा और दिल्ली में इसी साल चुनाव है जबकि मध्यप्रदेश में सरकार बनने के 6 महीने के भीतर ही लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही संगठनात्मक बदलाव की बात चल रही है।