भारत में अमीर और गरीब वर्ग के बीच बढ़ रहे अंतर पूर्व PM डॉ मनमोहन सिंह ने चिंता जताई है। डॉ मनमोहन सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बढ़ती असमानता चिंता की बात है और वेलफेयर स्टेट होने के नाते देश में इतनी गरीबी या आर्थिक गैर बराबरी नहीं हो सकती है.
पूर्व PM मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन आर्थिक विकास की उच्च दर बढ़ती असमानता से जुड़ी हुई है.
पूर्व PM ने सोशल डेवलपमेंट रिपोर्ट ‘भारत में बढ़ती असमानता, 2018’ जारी करने के मौके पर कहा कि कुछ सामाजिक समूह गरीबी हटाने वाले कई कार्यक्रमों और ठोस नीतियों के बावजूद काफी गरीब हैं। इनमें आर्थिक, सामाजिक, क्षेत्रीय और ग्रामीण शहरी असमानता शामिल है.
पूर्व PM ने कहा कि ”बढ़ती असमानता हमारे लिए चिंताजनक है, क्योंकि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक असमानतओं का बुरा प्रभाव हमारी तेज और लगातार होने वाले विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं. भारत एक वेलफेयर स्टेट है, हम अति गरीबी या गैर बराबरी को जगह नहीं दे सकते.”
पूर्व PM ने यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई कई योजनाएं भी गिनाईं, जैसे शिक्षा का अधिकार कानून, सूचना का अधिकार कानून, वन अधिकार कानून, हिंदू सक्सेशन (संशोधन) एक्ट, मनरेगा आदि और कहा कि इससे इस गैप को कम किया जा सकता है।
पूर्व PM के अनुसार अगर इन अधिकारों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो समस्या का समाधान हो जाएगा.
काउंसिल ऑफ सोशल डेवलपमेंट की इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2000 से 2017 के बीच संपत्ति में असमानता छह गुना बढ़ी है. इसमें बताया गया है कि 2015 में देश की एक फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का करीब 22 फीसदी हिस्सा था. इसमें 1980 के दशक की तुलना में छह फीसदी की बढ़ोतरी है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश का 80 फीसदी से ज्यादा संपत्ति देश के 10 फीसदी लोगो के पास है।