पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में पार्टी के नेता होंगे। पश्चिम बंगाल से पांच बार से सांसद अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल का नया नेता बनाया है। वही केरल से संसद पहुंचे के. सुरेश लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक होंगे।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को चिट्ठी लिखकर अधीर रंजन चौधरी के कांग्रेस संसदीय दल के नेता चुने जाने की जानकारी दी।
लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता होने के नाते अधीर रंजन चौधरी कई सरकारी कमेटियों और महत्वपूर्ण चयन समितियों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने चौधरी के नाम को स्वीकृति प्रदान कर दी है। कांग्रेस को इस बार के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 52 सीटें मिली हैं, जो नेता प्रतिपक्ष का दर्जा प्राप्त करने के लिए जरूरी संख्या से कम है।
अधीर रंजन चौधरी 1999 के बाद से एक बार भी चुनाव नहीं हारे हैं। चौधरी अभी बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की बहरामपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। चौधरी पूर्व में पश्चिम बंगाल विधानसभा का सदस्य रहने के साथ बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में ममता और मोदी की प्रचंड लहर के दौरान भी उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी। मंगलवार को जब लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में अगली कतार में उसी सीट पर बैठे नजर आए, जिस पर 16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नेता के तौर पर बैठा करते थे। मल्लिकार्जुन खड़गे इस बार चुनाव हार गए हैं।
अधीर रंजन चौधरी को लोग एक जुझारू नेता मानते हैं। चौधरी राजनीति मे ममता बनर्जी को अपना प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंदी मानते हैं। ममता विरोधी होने के करने ही लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। अधीर रंजन चौधरी दो बार विधायक और यूपीए सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी पर अब कांग्रेस कैडर और नेतृत्व में जोश फूंकने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा संसद में नरेंद्र मोदी सरकार को नीतियों और मुद्दों पर घेरकर उन्हें अपनी राजनीतिक कौशल साबित करना होगा। कुछ ही महीनों में देश के पांच राज्यों झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में विधानसभा चुनाव है, कांग्रेस के संसदीय दल का नेता होने के नाते उन्हें इन राज्यों में पार्टी नेतृत्व में जोश का संचार करना होगा।