अमित शाह चाणक्य नही तड़ीपार है :

शाह औरचाणक्य
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नीतियां
कार्यशैली
आपने अक्सर देखा होगा:- मोदी सरकार किन्हीं मुद्दों पर बुरी तरीके से घिरी होती है, उसके पास बचने का कोई मार्ग नहीं बचता!
तभी अचानक कोई अवांछित घटना घटती है और मीडिया से लेकर सोशलमीडिया तक उसी घटना की चर्चा होने लगती है!
कुछ समय बाद घटना से उपजा तीव्र उन्माद ख़त्म होने पर भी मोदी सरकार को वापस उसी मुद्दे पर घेरना संभव नहीं हो पाता, क्योंकि उस एक अवांछनीय घटना से पैदा उन्माद ख़त्म होने के पहले ही भाजपा के 2 अमित (1. अमित शाह भाजपा अध्यक्ष 2. अमित मालवीय BJP IT Cell प्रमुख) उस उन्माद को एक राष्ट्रवादी बहस में बदल देते हैं!

उदाहरणार्थ अभी पुलवामा आतंकी हमला ही देखिए-

  1. रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ़ लगातार जांच व पूछताछ के बाद भी ED के पास कोई सबूत न होने, 2.
    CBI की बंगाल में भद पिटने व निदेशक बदलने, 3. प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक आगाज़ और मीडिया से लेकर सोशलमीडिया तक का उन्हीं पे केंद्रित होना, 4. #RBI के नए गवर्नर की नियुक्ति और पैसों की मांग पर विवाद, 5. #राफ़ेल पर द वॉयर, द हिंदू के खुलासे के बाद और भी हमलावर हुए राहुल गांधी और कांग्रेस और बजट सत्र के अंतिम दिन पेश कैग ऑडिट रिपोर्ट पर उठते सवालों सहित अन्य छोटे मोटे मुद्दों (कर्नाटक में विधायक खरीदी, बजट में किए जुमलों पर आर्थिक प्रबंधन, 5 साल की उपलब्धि पे सवाल वगैरह) से एक झटके में भाजपा और मोदी आजाद!

अब जबकि पुलवामा हमले को 9 दिन हो गए हैं
2-4 छुटपुट मुठभेड़ आतंकियों व सेना में हो चुकी है
सेना को खुली छूट से लेकर पाकिस्तान से आयात-निर्यात के साथ ही खेल संबंध व सिंधु पानी बंद करने के जुमले कहे जा चुके हैं….
तब भी सोशलमीडिया से मीडिया तक नेता से जनता तक पुराने मुद्दे कहीं भी नहीं नजर आ रहे!

अब चर्चा और बहस के मुद्दे हैं
पाकिस्तान का पानी बंद करना चाहिए या नहीं
सिंधु समझौता तोड़ा जा सकता है या नहीं
क्रिकेट खेलना चाहिए या नहीं, 370 हटेगी या नहीं, पाक से युद्ध होगा या नहीं, व्यापार रोकना सही या गलत!
जबकि पुराने मुद्दों के संग नया मुद्दा होना चाहिए आतंकवाद और इस हमले पर भारत और सरकार का रुख क्या है?

ये है तड़ीपार की चाणक्यनीति की कार्यशैली
क्रमश: जारी है…… To be Continued……

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