मध्यप्रदेश विधानसभा_चुनाव_2018
सपाक्स समाज पार्टी भी उतरी चुनावी समर में!
सपाक्स का एक विश्लेषण
समान्य (सवर्ण) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के शासकीय उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा उनके कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए निर्मित संस्था है सपाक्स!
इसी तर्ज पर STSC वर्ग द्वारा निर्मित संस्था है अपाक्स!
यानि भाजपा ने सरकारी कर्मचारियों तक को जाति आधार पे बांट दिया!
जैसा की शुरूआत में होता है
सपाक्स ने जातिगत आधार पर नौकरी में पदोन्नति का विरोध किया और इसकी वजह से सपाक्स को भी सामान्य वर्ग का भरपूर समर्थन भी मिला!
पिछले 2 वर्षों से सपाक्स चुनाव लड़ने के लिए तैयारी बना रही!
हीरालाल त्रिवेदी सपाक्स समाजपार्टी अध्यक्ष हैं त्रिवेदी पूर्व IPS हैं और शिवराज सरकार में सूचना आयुक्त पद पर रह चुके हैं!
त्रिवेदी शिवराज के बहुत खास मोहरा हैं!
ये सपाक्स के माध्यम से भाजपा से नाराज सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार के वोट अलग-थलग करके कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं!
कोई आश्चर्य नहीं कि सपाक्स को आर्थिक मदद भी शिवराज से मिल रही हो!
सरकारी कर्मचारियों को सपाक्स पर भरोसे की गलती बहुत घातक साबित हो सकती है!
सपाक्स ने पहला राजनैतिक कदम चित्रकूट उपचुनाव में अपना निर्दलीय उम्मीदवार उतार के उठाया था!
जो की अंतिम समय में बिक गया और सपाक्स ने खुद उससे किनारा कर लिया था!
जातिगत आरक्षण के आधार पर पदोन्नति का विरोध करने वाली सपाक्स का कहना है कि चुनाव जीतने पर पिछड़ों को 27% आरक्षण देंगे!
ऐसे दोहरे रवैये पर विश्वास नहीं किया जा सकता, नहीं किया जाना चाहिए!
शिवराज सरकार के कृपापात्र रहे और सरकार के प्रति खासे वफ़ादार रहे सरकारी कर्मचारी ही सपाक्स के तमाम पदाधिकारी हैं!
अत: जागरुक जनता एवं जागरुक कर्मचारी सपाक्स से सावधान रहें!