चुनाव से पहले फिर खाली हुआ सरकारी खजाना, इस महीने बीजेपी सरकार ने दूसरी बार उठाया कर्ज।

जनता को बड़ा बड़ा ख्वाब दिखाने वाली सरकार को एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जरूरत को पूरा करने के लिए बाजार से कर्जा लेना पड़ा है। फंड की कमी से जूझ रही राज्य सरकार लगातार कर्ज लेने को मजबूर हो रही है। सरकारी योजनाओं का पुलिंदा पूरा करने का साथ साथ सरकार को 8 माह के दौरान सरकार को 11 बार बाजार से कर्ज लेना पड़ा है। आरबीआई के माध्यम से लिया जा रहा है, जिसमें बैंक से लेकर वित्तीय संस्थाएं तक मप्र को कर्ज देने के लिये हिस्सा ले रही हैं। सरकार ने नवंबर के महीने में एक बार फिर 1500 करोड़ का कर्ज लिया है।

इस महीने दूसरी बार लिया कर्ज

राज्य सरकार ने लगातार चुनाव से पहले इस महीने दूसरी बार कर्ज लिया है। महीने की शुरूआत में 600 करोड़ का कर्ज लिया था। दूसरे पखवाड़े में फिर सरकार को आरबीआई और वित्तीय संस्थाओं की चौखट चढ़ना पड़ा है। इससे पहले भी माह की शुरूआत में 600 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाया गया था। मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने पहली बार वित्तीय वर्ष के पहले माह यानि अप्रैल में ही कर्ज लेने की शुरूआत कर दी थी, तब 2000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था। तब से लेकर अब तक यह सिलसिला लगातार जारी है। किसी माह तो दो बार भी कर्ज लिया गया है, जिसमें मौजूदा नवंबर भी शामिल है। इन आठ माह में राज्य सरकार 10700 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से ले चुकी है।

राज्य सरकार की कर्ज लेने की रफ्तार और बढ़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक अगले चार माह की अवधि में राज्य सरकार अभी कम से कम 10 हजार करोड़ रुपये और कर्ज ले सकती है। इस तरह मौजूदा वित्तीय वर्ष में कर्ज का आंकड़ा 21 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। हांलाकि राज्य सरकार जीएसडीपी के 3.5 फीसदी तक कर्ज ले सकती है, इस तरह इस बार 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज वित्तीय वर्ष में ले सकती है। मार्च 2018 की स्थिति में राज्य सरकार ने जो वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है, उस हिसाब से सरकार पर पहले ही लगभग एक लाख 61 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।

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