NRC पर देश को गुमराह कर रही भाजपा, NRC का सत्य कुछ और है

अमित शाह ने आज राज्यसभा में बयान दिया कि #कांग्रेस में एनआरसी अपडेट करने की हिम्मत नहीं थी, इसलिए भाजपा ये काम कर रही है। भाजपा अध्यक्ष ने यह सवाल भी किया है कि क्या विपक्षी पार्टियां “बांग्लादेशी घुसपैठियों” को बचाना चाह रही हैं?

तो अब जरा तथ्यों पर गौर फरमाएं और तय करें कि किस पार्टी ने एनआरसी अपडेट करने की दिशा में कितने काम किए।

— 1985 — #कांग्रेस नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और आॅल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने 1985 में असम समझौते पर दस्तखत किए थे, जिसमें अवैध बांग्लादेशियों की पहचान के लिए एनआरसी अपडेट करने पर सहमति बनी थी। तय किया गया था कि 24 मार्च 1971 की आधी रात के बाद से अवैध रूप से राज्य में घुस आए बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने की कोशिश जाएगी।

— 2005 — #कांग्रेस नेता एवं असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और केंद्र सरकार के बीच एक अन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें एनआरसी जारी करने का निर्णय लिया गया। गोगोई सरकार ने कुछ जिलों में पायलट परियोजना के रूप में एनआरसी अपडेट करने का काम शुरू किया था, लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा के बाद इस पर रोक लगा दी गई।

— 2009 — जुलाई 2009 में असम पब्लिक वर्क नाम के एनजीओ ने राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और मतदाताओं की सूची से उनके नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद कोर्ट ने इस काम को जल्द पूरा करने का आदेश दिया।

— 2013 — सुप्रीम कोर्ट ने 1951 के एनआरसी को अपडेट करने के आदेश दिए। केंद्र और असम की #कांग्रेस सरकारों ने जरूरी तैयारियां शुरू की।

— 2014 — केंद्र में भाजपा की सरकार आ गई।

— 2015 — असम में तरुण गोगोई की #कांग्रेस सरकार ने औपचारिक रूप से एनआरसी अपडेट करने का काम शुरू किया। आवेदन फॉर्म बांटे गए। फॉर्म जमा भी लिए गए।

— 2016 — साल की शुरुआत में असम की #कांग्रेस सरकार ने वेरीफिकेशन यानी सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की। फिर कुछ ही महीने बाद राज्य में भाजपा की सरकार बन गई और यह प्रक्रिया जारी रही। जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के कारण इसे जारी रखना ही था।

— 2017 — 31 दिसंबर की आधी रात को एनआरसी के मसौदे का पहला हिस्सा प्रकाशित किया गया।

— 2018 — 17 फरवरी से 6 जून तक हर परिवार की वंशावली (फैमि​ली ट्री) की वेरीफिकेशन शुरू हुई।

2 अप्रैल से 7 जुलाई तक विशेष सत्यापन प्र​क्रिया चली।

30 जुलाई 2018 — एनआरसी का पूरा मसौदा प्रकाशित किया  गया

 

 

अमित शाह ने आज राज्यसभा में बयान दिया कि #कांग्रेस में एनआरसी अपडेट करने की हिम्मत नहीं थी, इसलिए भाजपा ये काम कर रही है। भाजपा अध्यक्ष ने यह सवाल भी किया है कि क्या विपक्षी पार्टियां “बांग्लादेशी घुसपैठियों” को बचाना चाह रही हैं?

तो अब जरा तथ्यों पर गौर फरमाएं और तय करें कि किस पार्टी ने एनआरसी अपडेट करने की दिशा में कितने काम किए।

— 1985 — #कांग्रेस नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और आॅल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने 1985 में असम समझौते पर दस्तखत किए थे, जिसमें अवैध बांग्लादेशियों की पहचान के लिए एनआरसी अपडेट करने पर सहमति बनी थी। तय किया गया था कि 24 मार्च 1971 की आधी रात के बाद से अवैध रूप से राज्य में घुस आए बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने की कोशिश जाएगी।

— 2005 — #कांग्रेस नेता एवं असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और केंद्र सरकार के बीच एक अन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें एनआरसी जारी करने का निर्णय लिया गया। गोगोई सरकार ने कुछ जिलों में पायलट परियोजना के रूप में एनआरसी अपडेट करने का काम शुरू किया था, लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा के बाद इस पर रोक लगा दी गई।

— 2009 — जुलाई 2009 में असम पब्लिक वर्क नाम के एनजीओ ने राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और मतदाताओं की सूची से उनके नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद कोर्ट ने इस काम को जल्द पूरा करने का आदेश दिया।

— 2013 — सुप्रीम कोर्ट ने 1951 के एनआरसी को अपडेट करने के आदेश दिए। केंद्र और असम की #कांग्रेस सरकारों ने जरूरी तैयारियां शुरू की।

— 2014 — केंद्र में भाजपा की सरकार आ गई।

— 2015 — असम में तरुण गोगोई की #कांग्रेस सरकार ने औपचारिक रूप से एनआरसी अपडेट करने का काम शुरू किया। आवेदन फॉर्म बांटे गए। फॉर्म जमा भी लिए गए।

— 2016 — साल की शुरुआत में असम की #कांग्रेस सरकार ने वेरीफिकेशन यानी सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की। फिर कुछ ही महीने बाद राज्य में भाजपा की सरकार बन गई और यह प्रक्रिया जारी रही। जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के कारण इसे जारी रखना ही था।

— 2017 — 31 दिसंबर की आधी रात को एनआरसी के मसौदे का पहला हिस्सा प्रकाशित किया गया।

— 2018 — 17 फरवरी से 6 जून तक हर परिवार की वंशावली (फैमि​ली ट्री) की वेरीफिकेशन शुरू हुई।

2 अप्रैल से 7 जुलाई तक विशेष सत्यापन प्र​क्रिया चली।

30 जुलाई 2018 — एनआरसी का पूरा मसौदा प्रकाशित किया गया।

 

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