
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट पेश करने से पहले मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है. सरकार एक ओर जहां राजकोषीय घाटे को कंट्रोल करने की प्रयास में लगी हुई थी वहीं, केन्द्र सरकार ने सारे वित्त साल 2019-20 के लिए जो राजकोषीय घाटा तय किया था, उसका 52 प्रतिशत उसने दो महीने में पूरा कर लिया है. राजकोषीय घाटे का आंकड़ा शुक्रवार को जनरल ऑफ अकाउंट्स ( CGA ) ने जारी किया है।
सरकार जहां एक तरफ राजकोषीय घाटे को कम करने दावा कर रही थी वही इसका बढ़ना सरकार के लिए स्पष्ट रूप से चिंताजनक है और ये कही ना कही सरकार की नाकामयाबी भी है।
ये आंकड़ा सीजीए ने जारी किया है।
वित्त साल के शुरुआती दो महीने में ही सरकार का राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया है. सीजीए के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त साल 2019-20 के शुरूआती दो महीनों में ही सरकार के एक्सपेंडिचर ज्यादा हो गए हैं. बजट आने से कुछ दिन पहले ही सीजीए के द्वारा ये आंकड़ा जारी किया गया है।
एक्सपेंडिचर व रेवेन्यू के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं. अगर एक्सपेंडिचर की राशि रेवेन्यू की राशि से अधिक तो राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है. एक वर्ष पहले यह आंकड़ा 55.3 प्रतिशत था. चालू वित्त साल 2019-20 के शुरुआती दो महीनों अप्रैल व मई में खर्च व राजस्व के बीच 3,66,157 करोड़ रुपये का अंतर है.