Election Results 2023: फूंके हुए कारतूसों के दम पर सत्ता में वापसी मुश्किल

Election Results 2023

छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश (Election Results 2023) में बीजेपी ने बड़ी चुनावी जीत दर्ज की है तथा कांग्रेस को बुरी तरह से पटकनी दी है. अगर देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को एक मजाक में तब्दील करके रख दिया है. इन चुनावी नतीजे में कांग्रेस के लिए संदेश भी छुपे हुए हैं. सवाल यही है कि क्या कांग्रेस के लोग इन नतीजे से मिले संदेश को समझने की कोशिश करेंगे?

तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए जनता के जनादेश को स्वीकार किया. उन्होंने लिखा कि हम जनता के जनादेश को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करते हैं तथा विचारधारा की लड़ाई निरंतर जारी रहेगी. लेकिन सवाल है की विचारधारा की लड़ाई किस तरह से जारी रहेगी?

कई बुद्धिजीवी तथा कांग्रेस के अंध समर्थक इस जनादेश के बाद ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं तथा इस हार में भी कई पॉजिटिव चीजों और कहानियों को जोड़कर 2024 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की कहानियां सुना रहे हैं.

कांग्रेस के कुछ समर्थकों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस विधानसभा चुनाव कई राज्यों में जीत गई थी तथा लोकसभा चुनाव हार गई थी, अब 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इन राज्यों में बीजेपी जीत गई है. इसका मतलब है कि 2024 में भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी.

इसी तरह कांग्रेस के नेता जयराम रमेश तथा कई कांग्रेस के समर्थकों का कहना है कि 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कई राज्यों में विधानसभा चुनाव जीत गई थी. उसके बाद 2004 का लोकसभा चुनाव हार गई थी. इस वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी की सरकार जा रही है और मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे.

ऐसी कहानियां और पुरानी बातें याद करके क्या इतिहास को बिना धरातल पर जनता से जुड़े दोहराया जा सकता है?

कांग्रेस तथा तमाम विपक्षी दलों और उनके समर्थकों को यह समझना होगा कि नज़रे चुराने से कुछ नहीं होगा. वास्तविकता को देखना होगा. आंखों पर बंधी हुई पट्टी को खोलना होगा. जमीन जनता तथा जनतंत्र की रूह को समझना होगा. जनता से जुड़ने की नियत पैदा करनी होगी.

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए माहौल जरूर तैयार किया था. लेकिन उसे बने नैरेटीव को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में चुनावी जीत में तब्दील कांग्रेस नहीं कर पाई. जिस तरह से इन राज्यों में चुनाव प्रचार चल रहा था और चारों तरफ सोशल मीडिया से लेकर युट्युबर्स तक ने कांग्रेस को अंधेरे में रखा कि वह जीत रही है और इनका दिया गया भरोसा कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हुआ.

इसके अलावा कांग्रेस के दगे हुए कारतूसों के दिए गए भरोसे ने राहुल गांधी की मेहनत पर पानी फेर दिया. मध्य प्रदेश में कमलनाथ और राजस्थान में अशोक गहलोत ने कांग्रेस की लुटिया डूबने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जब से कमलनाथ की सरकार गई थी उसी वक्त से कमलनाथ 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए थे. लेकिन नतीजा बता रहे हैं की कमलनाथ ने जनता से जुड़ने की कोशिश नहीं की.

मध्य प्रदेश के चुनावी रिजल्ट बता रहे हैं कि कमलनाथ किसी की सुन नहीं रहे थे. कांग्रेस नेतृत्व द्वारा बनाए गए इंडिया गठबंधन को भी तवज्जो नहीं दे रहे थे. मध्य प्रदेश में चुनावी प्रचार इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं के साथ भोपाल में शुरू होना था, लेकिन कमलनाथ ने इसे होने नहीं दिया.

बागेश्वर बाबा के चरणों में लेटकर कमलनाथ सोच रहे थे कि वह मध्य प्रदेश का चुनाव जीत जाएंगे. लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस को एक तरह से खत्म कर दिया है. नई लीडरशिप को मौका नहीं दिया. मध्य प्रदेश में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अच्छा माहौल तैयार किया था लेकिन उसका लाभ भी कांग्रेस को नहीं मिल सका.

इंडिया गठबंधन द्वारा कुछ चैनलों और एंकर्स को बैन कर दिया गया था और उन्ही चैनलों और एंकर्स को कमलनाथ इंटरव्यू देते हुए नजर आए विधानसभा चुनाव प्रचार में. यह एक तरह से कमलनाथ द्वारा कांग्रेस नेतृत्व का मजाक उड़ाना ही कहा जाएगा. कमलनाथ पूरे विधानसभा चुनाव प्रचार में अपनी ही चलाते रहे, किसी की उन्होंने सुनी नहीं. नतीजा सामने है, कमलनाथ का ओवर कॉन्फिडेंस कांग्रेस को ले डूबा.

ठीक इसी तरह राजस्थान में अशोक गहलोत कह रहे थे की कुर्सी उन्हें छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. वह सचिन पायलट को किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाह रहे थे, यह पिछले पांच सालों में देखा गया. लेकिन राज्यपाल को इस्तीफा देते हुए उन्हें बिल्कुल भी शर्म नहीं आई. बीजेपी राजस्थान में बंपर जीत दर्ज करने में कामयाब हो गई और गहलोत को जबरदस्ती कुर्सी से उतरना पड़ा.

सचिन पायलट को लेकर गहलोत का रवैया किसी से छुपा हुआ नहीं है. सोनिया गांधी तक के फैसले के खिलाफ गहलोत ने बगावत कर दी थी और उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ी थी. लेकिन राज्यपाल को इस्तीफा देते हुए खुलकर हंसने और मुस्कुराते हुए नजर आए गहलोत जिसकी काफी आलोचना भी हो रही है और कहा जा रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया और अब खुशी-खुशी बीजेपी की सरकार स्वीकार करने में उन्हें तकलीफ नहीं हुई.

ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस बुरी तरह हारी है. छत्तीसगढ़ में किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी की सरकार बनेगी लेकिन बीजेपी ने दमखम के साथ छत्तीसगढ़ में वापसी की है. छत्तीसगढ़ भूपेश बघेल के हाथों में था, वह ओवर कॉन्फिडेंस में थे. गांधी परिवार का करीबी बताने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन उनका ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा और आज छत्तीसगढ़ से भी कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई.

कांग्रेस को सोचना होगा कि दगे हुए कारतूसों के भरोसे क्या वह 2024 का लोकसभा चुनाव जीत पाएगी या फिर किसी भी राज्य का विधानसभा चुनाव वह दगे हुए कारतूसों के दम पर जीत पाएगी? तेलंगाना में एक युवा और नए चेहरे को कांग्रेस ने कमान दी थी और तेलंगाना में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की है.

कमलनाथ, अशोक गहलोत जैसे नेताओं ने युवाओं को आगे आने नहीं दिया. नया नेतृत्व पैदा नहीं हुआ और आज कांग्रेस हिंदी बेल्ट में लगभग साफ होती जा रही है. हिंदी बेल्ट में कांग्रेस के पास जनता को आकर्षित करने वाले और जमीन से जुड़े हुए नेताओं की कमी साफ दिखाई दे रही है और जो पुराने नेता है वह युवाओं को आगे नहीं याद नहीं दे रहे हैं, कांग्रेस नेतृत्व की चलने नहीं दे रहे हैं, सिर्फ अपनी चला रहे हैं.

जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है उन राज्यों से गोदी मीडिया को भर भर के विज्ञापन दिए जाते हैं. लेकिन क्या यह गोदी मीडिया चुनावी माहौल में कांग्रेस को जनता तक पहुंचाने के लिए समय देता है? कांग्रेस की नीतियों का प्रचार करता है? यह बात भी कांग्रेस नेतृत्व को गंभीरता से सोचनी होगी. अगर गोदी मीडिया का बहिष्कार किया ही है तो फिर विज्ञापन के जरिए गोदी मीडिया पर पानी की तरह कांग्रेस की राज्य सरकारें पैसा क्यों बहा रही थी या बहाती हैं?

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान कांग्रेस हार चुकी है लेकिन अभी तक इन राज्यों की कमान जिनके हाथों में थी उन्होंने इस हार की जिम्मेदारी नहीं ली है और अभी तक कोई इस्तीफा भी नहीं हुआ है. इसके क्या मायने हैं? जीत हुई तो उनके नाम पर हुई और हार हुई तो गांधी परिवार जिम्मेदार?

2024 से ठीक पहले कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है और इस झटके से उबर में कांग्रेस को काफी समय लगेगा. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिक वक्त बचा नहीं है. क्या कोई बड़ा फैसला कांग्रेस लगी ऐसी उम्मीद की जा सकती है?

मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ और बाकी के हिंदी बेल्ट में अगर कांग्रेस द्वारा नया नेतृत्व पैदा नहीं किया गया. जमीन से जुड़े हुए और जनता को आकर्षित करने वाले नेताओं की फौज खड़ी नहीं की गई तो 2024 में भी मोदी को सत्ता में वापसी करने से नहीं रोका जा सकता है, यह बात कांग्रेस जितनी जल्दी समझ जाए उतना ही उनके लिए अच्छा है.

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