छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी द्वारा सदन में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव औंधे मुह गिर गया। तकरीबन 13:15 घंटे चर्चा के बाद जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई है इसे ध्वनि मत से नामंजूर कर दिया गया।
इसके साथ ही देर रात तकरीबन 1.27 बजे छत्तीसगढ़ विधानसभा का 14वां सत्र भी समाप्त हो गया। सत्र की शुरुआत 20 जुलाई को हुई थी। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए उसपर वादाखिलाफी का आरोप लगाया था। लेकिन विपक्ष पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश में बदलाव ला रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष हमे हमारा वादा याद दिला रहा है। 15 साल ये लोग सत्ता में रहे, लेकिन ये लोग आम लोगों की इच्छा, लोगों के सपनों को समझ नहीं पाए। ये अपना वादा तक पूरा नहीं कर सके, लेकिन ये हमे आज हमारा वादा याद दिला रहे हैं।
सदन में बहस के दौरान भाजपा ने प्रदेश सरकार के खिलाफ 84 प्वाइंट की चार्जशीट पेश की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसपर बहस के दौरान विपक्ष पर पलटवार किया। बहस की शुरुआत करते हुए भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ना तो मुख्यमंत्री को अपने कैबिनेट के साथियों में भरोसा है ना ही प्रशासन को सरकार पर भरोसा है। आखिर मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री को बर्खास्त क्यों नहीं किया। मुख्यमंत्री के पास हिम्मत नहीं है। यहां तक कि मंत्री के पास भी हिम्मत नहीं है और कैबिनेट में बने रहना चाहते थे। दरअसल बघेल सरकार में मंत्री टीएन सिंह देव ने 16 जुलाई को चार मंत्रालयों में से एक मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। उनहोंने कहा था कि उन्हें नजरअंदाज किया गया।
अपने चार पेज के इस्तीफे में मंत्री सिंह देव ने कई वजहों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के जन घोषणा पत्र के लक्ष्य को वह पूरा करने में सक्षम नहीं थे, ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुए उन्होंने नीतियों को लागू नहीं किए जाने पर निराशा जाहिर की। यही नहीं मानसून सत्र के दौरान टीएन सिंह देव सदन में नहीं आए। अग्रवाल ने दावा किया कि प्रदेश 1.75 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा है और इसकी बड़ी वजह वित्तीय अव्यवस्था है। यही नहीं उन्होंने कहा कि सरकार ने 18 लाख गरीबों से उनका घर छीन लिया, जोकि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अर्ह थे। प्रदेश सरकार ने राज्य का हिस्सा इस योजना के तहत नहीं दिया, जिसके चलते गरीबों का हक उनसे छिन गया।