गाँधी परिवार कांग्रेसियों के लिये वोट का जरिया है ?

Congress President Sonia Gandhi with Congress Vice President Rahul Ganhi arrives at Patiala House Court in New Delhi on Saturday./PHOTO-DALIP KUMAR. 19/12/15

गाँधी परिवार कांग्रेसियों के लिये वोट का जरिया है

जब सब कुछ बुरा होता है तो गाँधी परिवार याद आता है

जब कांग्रेस हर तरफ हार रही थी पार्टी में बगावत अपने प्रचंड पर थी लोगो ने कांग्रेस के अंतिम दौर की घोषणा कर दी। कांग्रेस के लोग एक करिश्माई नेता को खोज रहे थे जो फिर से लोगो मे कांग्रेस के लिये विश्वास जगा सके। तब कांग्रेस को गांधी परिवार याद और सबने मिलकर श्रीमती सोनिया गाँधी को याद किया और उन्हें अध्यक्ष बनाने की मांग की। सोनिया गाँधी अध्यक्ष बनी और अपनी करिश्माई मेहनत और लोगो गाँधी परिवार के प्रति प्यार से लोगो मे पुनः कांग्रेस को स्थापित कर दिया वो वक्त था जब कांग्रेस के वैसे नेता फिर सामने आये जिन्हें सोनिया गाँधी में परिवारवाद नजर आने लगा।

मतलब मेहनत और जनता से प्यार गाँधी परिवार पाए मगर जब सत्ता में आने की बारी आई तो गाँधी परिवार में परिवारवाद नजर आने लगी।

2014 में कांग्रेस के वो नेता जो आज राहुल गाँधी को परिवारवाद का उपज बता रहे हैं चुनाव लड़ने तक को तैयार नही थे कोई प्रचार में जाने को तैयार नही था सब कांग्रेस की हार पहले मां चुके थे ऐसे में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी प्रचार में गए और कड़ी मेहनत भी मगर सरकार विरोधी लहड़ में हार का सामना करना पड़ा तब सबने कहा अब कांग्रेस खत्म हो जायेगी। विपक्ष कांग्रेस मुक्त भारत की नारा देने लगा कांग्रेस का कोई नेता जनता के बीच जाने को तैयार नही हो रहा था।

सोनिया गाँधी अस्वस्थ थी और कांग्रेस हर तरफ हार रही थी ऐसे में फिर लोग गाँधी परिवार के अगले पीढ़ी के तरफ देख रहे थे जिसकी जानकारी आरएसएस को भी थी और उसके लिये आरएसएस तैयार था और उसने गाँधी परिवार की अगली पीढ़ी राहुल गाँधी के छवि को धूमिल करने के लिये 400 करोड़ रुपये हर साल खर्च शुरू कर दिया फिर भी राहुल गाँधी सामने आए एक योद्धा के तरफ मुश्किल से घिरी कांग्रेस का नेतृत्व को स्वीकारा और मेहनत करने निकल पड़े उन्होंने देश के हर क्षेत्र में दौरा किया उन्होंने ये नही देखा कि तापमान 46℃ डिग्री गर्म है या फिर 7℃ शीतलहर। वो मेहनत करते रहे बिना रुके बिना नतीजा का चिंता किए। इस दौरान भी 1-2 नेताओ को छोड़ कोई क्षेत्र में जाने को तैयार नही था फिर भी राहुल खुद मेहनत करते रहे और जनता के बीच सरकार की नीतियों के पोल खोली पुरानी सरकारों की योजनाओं प्रचार किया और खुद पर लगे आरोपो का खुद से जबाब दिया। युवा राहुल गाँधी के सोच से जुड़े। राहुल गाँधी ने कांग्रेस को पुनः लोगो के बीच स्थापित करना शुरू किए मोदी के किला को ढहने की बारी आई और लोग समझ गए कि कांग्रेस वापसी कर चुकी तो फिर क्या था वही पुराना अंदाज वही पुराना सवाल राहुल गाँधी परिवारवाद के नेता हैं।

मतलब संघर्ष के वक्त परिवार भूल जाते हैं और जब सब ठीक होने लगता है तो गाँधी परिवार में परिवारवाद नजर आने लगता है

ऐसे कांग्रेसियो से बचिये वर्ना आपके नेता को आपसे ही विरोध करवा देंगे।

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